छत्री चौक और फ्रीगंज सराय के भवन निर्माण मजदूरों को नहीं मिल रही नियमित दिहाड़ी
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। भवन निर्माण कार्यों में भी अब आधुनिक मशीनों का उपयोग होने लगा है। इसके चलते भवन निर्माण से जुड़े मजदूरों के हाथों से काम छिनने लगा है। छत्री चौक और फ्रीगंज सराय पर काम की आस में आए कई मजदूरों को कई घंटे बैठने के बाद निराश घर लौटना पड़ रहा है।
पिछले एक दशक में बढ़ती आबादी के साथ शहर का दायरा बढ़ा है। इंदौर रोड, देवास रोड, आगर रोड तथा मक्सी रोड तक चारों दिशाओं में नई बसाहट बढ़ रही है। लगातार नई कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है। इसके कारण भवन निर्माण से जुड़े मजदूर और कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं, लेकिन आधुनिक मशीनों के भवन निर्माण क्षेत्र में आ जाने से दिहाड़ी मजदूरों की पूछ-परख भी कम हो गई है।
भवन निर्माण व्यवसाय से जुड़े ठेकेदार राजेश भाटी ने बताया कि आज से लगभग दो दशक पहले तक भवन निर्माण के करीब-करीब सभी कार्य मिस्त्री, कारीगर और दिहाड़ी मजदूर हाथों से किया करते थे। इसमें नींव के लिए खुदाई से लेकर भवन का आधार निर्माण से लेकर दीवारों के निर्माण व इसके बाद मकानों की छत के निर्माण कार्य हाथों से ही किए जाते थे। इस क्षेत्र में जैसे-जैसे आधुनिक निर्माण मशीनों का चलन बढ़ता गया। वैसे-वैसे भवन निर्माण से जुड़े हाथ के कारीगर, मिस्त्री और मजदूरों की संख्या कम होती जा रही है।
उदाहरण के लिए एक दशक पहले तक किसी भी मकान की पक्की छत निर्माण के वक्त उपयोग में आने वाले सीमेंट, बालू रेती, गिट्टी के मिश्रण को मजदूर हाथ से ही तैयार करते थे। इसके बाद इन्हें धरातल से छत निर्माण के लिए ऊपरी मंजिल तक फावड़े और तगारी के जरिए मटेरियल भरकर मजदूर ही सीढ़ी या अन्य साधन के जरिए ऊपर तक ले जाया करते थे।
मकान की एक छत भरने में उस वक्त 20 से 30 दिन तक का समय लगता था। ऐसे में मिस्त्री और मजदूरों को रोजाना नियमित रूप से काम मिल जाया करता था। लेकिन अब भवन निर्माण तथा छत भराई के लिए कांक्रीट मिश्रण तैयार करने के लिए कांक्रीट मिक्सचर मशीन और लिफ्ट आ गई है। इतना ही नहीं मशीन के जरिए ही अब छत भराई का काम भी आसान हो गया है।
दो या तीन लोग मिलकर इस काम को आसानी से करने लगे हैं। जबकि पहले इस कार्य में कम से कम १०-१२ लोगों की आवश्यकता होती थी और सभी को काम मिलता था। इसी तरह भवन निर्माण के क्षेत्र में अन्य मशीनें भी आ गई है। इसके कारण कई मजदूरों का काम कुछ मजदूर ही पूरा करने लगे हंै।
फसल कटाई पूरी, अब मकान निर्माण पर निर्भर
शहर की दोनों सराय पर उज्जैन शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी काम की तलाश में सैकड़ों मजदूर यहां आते हैं। हर वर्ष होली से पहले गेहूं-चने की फसल कटाई के दौरान मजदूरों को काम मिल जाता है। परंतु इसके बाद उन्हें काम के लिए पूरी तरह भवन निर्माण पर ही निर्भर रहना होता है।
2 सराय, 2 हजार से ज्यादा मजदूर, मिस्त्री
शहर में दो जगह मजदूर सराय है। जहां सुबह से लेकर शाम तक काम की तलाश में मजदूर तथा मिस्त्री पाए जाते है। पुराने शहर में छत्री चौक बगीचे की फुटपाथ पर सैकड़ों की संख्या में सुबह 6 से 10 बजे तक यहां मजदूरों की भीड़ लगी रहती है। इसी तरह फ्रीगंज में अम्बेडकर भवन के सामने सराय पर भी मजदूरों का स्थाई ठिकाना है। दोनों जगह पर ठेकेदार और भवन निर्माता आवश्यकता होने पर इन्हें काम पर ले जाते हैं। भवन निर्माण से जुड़े ठेकेदार रामसिंह के अनुसार दोनों सरायों पर लगभग २ हजार से अधिक मजदूर और मिस्त्री जुड़े हुए हैं।
कई बार बगैर काम घर लौटना पड़ता है
छत्री चौक सराय पर मौजूद दिहाड़ी मजदूर मोहनलाल और आत्माराम ने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे मजदूरी कर रहे है पहले के मुकाबले अब दिहाड़ी मजदूरी कम मिलने लगी है। कई बार सप्ताह में दो या तीन बार सराय पर आकर घंटों इंतजार करने के बाद भी काम नहीं मिलता। ऐसे में उन्हें बगैर मजदूरी के खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। काम की आस में अगली सुबह फिर वे सराय पर आ जाते है।