मोदी 3.0: तीन फैक्टर जिन्होंने मोदी को बनाया ‘अजेय’

हिंदुत्व का दांव इन 11 वर्षों में मोदी सरकार ने देश में हिंदुत्व विरासत की वापसी और उनकी स्थापना का दांव सफलतापूर्वक खेला।
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मोदी यह संदेश देने में बहुत हद तक सफल रहे कि जिन पुरानी विरासत को देश ने, खासकर बहुसंख्यक समुदाय ने उपेक्षित छोड़ दिया था, उसे वापस हासिल करने में इन सरकार और राजनीतिक स्तर पर सफलता पाई गई। अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना सबसे अहम पलों में रही। न सिर्फ जनता ने मोदी को इसका पूरा श्रेय दिया, बल्कि इसे हिंदुत्व नवजागरण में एक मील का पत्थर माना। पिछले कुछ वर्षों में मोदी ने तमाम दूसरी पहलों से भी संकेत दिया कि वह हिंदुत्व नवजागरण के लिए खामोशी से काम करते रहे हैं। इस दौरान महाकाल कॉरिडोर, केदारनाथ, वाराणसी सहित तमाम धार्मिक स्थलों को नए सिरे से विकसित किया गया।

नव राष्ट्रवाद का उदय
देश ने नव राष्ट्रवाद का भी उभार देखा। इसे गवर्नेस और राजनीति की मुख्यधारा में आते देखा। स्वाभाविक है कि मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने इस मुद्दे को अपना एक्स फैक्टर बनाया तो सबसे अधिक लाभ भी उन्हें ही मिला। ऑपरेशन सिंदूर के रूप में राष्ट्रवाद का मुद्दा केंद्र में है। मोदी की लगातार सियासी जीत का बड़ा फैक्टर राष्ट्रवाद है और इसके चलते पार्टी लगातार जीत रही है।
लाभार्थी वर्ग के रूप में नए वोट बैंक का उभार
पीएम मोदी ने इन एक ऐसा लाभार्थी वर्ग बनाया, जो हर सूरत में उनके साथ टिका रहा। कहा गया कि इंदिरा गांधी के बाद मोदी पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने तमाम जातियों की दीवार को तोडक़र लाभार्थी का वोट बैंक बनाया। पहले टर्म में उज्जवला योजना, आवास योजना से शुरू हुआ यह वर्ग फ्री राशन मिलने तक मोदी के साथ लगभग अटूट हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने चुनावी गणित में 20 प्रतिशत लाभार्थी और 20 प्रतिशत हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का कोर वोट बनाने का लक्ष्य बना। वह इसमें सफल भी रही। इसी लाभार्थी कोर
वोटरों पर टारगेट पीएम मोदी अक्सर टारगेट करते हैं।
नईदिल्ली। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने 11 साल पूरे कर लिए हैं। इन 11 वर्षों में निर्विवाद रूप से केंद्र सरकार और इसके इर्द-गिर्द की राजनीति को मोदी ने न सिर्फ प्रभावित किया, बल्कि अपने हिसाब से दिशा भी दी, वर्षों की पारंपरिक राजनीति, गर्वनेंस को नया आयाम दिया। इनमें तीन ऐसे फैक्टर रहे, जिनकी बदौलत इन 11 वर्षों में हल्के-फुल्के प्रतिरोध को छोड़ दें तो बिना किसी बाधा के सरकार मजबूत होती गई।









