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यातायात पुलिस की लापरवाही किसी की जान न ले ले

जो बीना में हुआ है, ईश्वर करे ऐसा उज्जैन में न हो

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40 रुपए के लालच में किसी की जान से खिलवाड़ न करें

 

ई-रिक्शा और ऑटो में ड्राइवर अपने पास बैठाते हैं सवारियों को

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माता-पिता ध्यान दें, अपने बच्चों की जिंदगी बचाएं

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। बीना में एक ऑटो ड्राइवर ने 20 रुपए के लालच में एक बच्ची को मौत की नींद सुला दिया। परिवार के लोग इंतजार कर रहे थे कि बिटिया अब आने ही वाली है। वह गई थी स्कूल की यूनिफार्म में और आई सफेद चादर में। इस घटना ने लोगों को दहला कर रख दिया। उज्जैन में भी ऑटो और ई-रिक्शा वाले वही कर रहे हैं जो बीना के ऑटो ड्राइवर कुलदीप लोधी ने किया। भगवान महाकाल, सभी की रक्षा करें। ऐसा हादसा उज्जैन में न हो। यह दुआ तब कुबूल होगी जब हमारी यातायात पुलिस इस पर ध्यान देगी।

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खबर यह है कि बीना में ऑटो ड्राइवर कुलदीप लोधी है जो बच्चों को स्कूल लाता और और घर छोड़ता है। उसने अपने पास तीसरी कक्षा में पढऩे वाली परिधि को बैठा रखा था। रास्तेे में एक सवारी मिली। उसने 20 रुपए के लालच में उसे भी बैठा लिया। वह कुछ ही दूर चला था कि गड्ढे के कारण दचका लगा।

पास ही बैठी परिधि का हाथ छूटा और वह सड़क पर गिर गई। उसे अस्पताल पहुंचाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टर पल्लवी यादव ने बताया कि सड़क पर गिरने से उसके पेट की तिल्ली फट गई थी। परिधि की मौत ने परिवार को झकझोर कर रख दिया। यातायात पुलिस की लापरवाही को कारण माना गया। उधर, जांच में पता चला कि ऑटो में एक सवारी के अलावा ग्यारह बच्चे सवार थे। ड्राइवर और यातायात पुलिस की लापरवाही ने एक बच्ची को मौत की नींद सुला दिया।

हमारे यहां देखने वाला ही नहीं

अपने शहर में ऑटो रिक्शा तो थे ही अब ई-रिक्शा की भरमार हो गई है। शहर की अस्त व्यस्त होती यातायात व्यवस्था इन्हीं की देन है। जब आशीष सिंह यहां कलेक्टर थे तब उनके सामने ई-रिक्शा का मुद्दा उठाया गया। उन्होंने खरीदी पर रोक लगा दी। लाने वाले ई-रिक्शा इंदौर से ले आए। इसके पहले कि वे योजना बनाकर कार्रवाई करते उनका तबादला हो गया। जाने से पहले उन्होंने यातायात पुलिस को निर्देश दिए थे कि लगाम कसी जाए। थोड़ी बहुत कार्रवाई हुई लेकिन किसी की आदत में बदलाव नहीं आया।

अपने बगल में बैठा रहे हैं यात्रियों को

अपने शहर के कुछ ऑटो और ई रिक्शा चालक कुलदीप की तर्ज पर सवारियों को बैठा रहे हैं। मात्र 40 रुपए के लालच में यात्रियों की जान जोखिम में डाली जा रही है। मजेदार बात यह है कि यह सब कुछ लोगों को दिख रहा है, लेकिन यातायात पुलिस को नहीं। कोई भी घटना किसी विभाग या शहर के लिए सबक होती है। बीना की घटना हमारे लिए सबक है। यदि पुलिस कार्रवाई करे तो हमारे बच्चे और यात्री सुरक्षित रह सकेंगे।

सामाजिक संगठन भी आगे आएं

बीना की घटना को लेकर वहां के सामाजिक संगठन आगे आ सकते हैं तो यहां क्यों नहीं? समय-समय पर मुद्दों को खोज कर ज्ञापन दिए जाते हैं। धरने दिए जाते हैं, प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाती है। इस मुद्दे पर क्यों नहीं? यह राजनीतिक नहीं अपने बच्चों की जान माल का मामला है। हो सकता है कि आपका प्रयास रंग लाए और यातायात पुलिस जाग्रत हो जाए।

कार्रवाई की जाएगी : सीएसपी

यातायात सीएसपी दिलीप सिंह परिहार का कहना है कि विभाग के पुलिसकर्मी मंदिरों और गरबा स्थलों पर लगे हुए थे। शहर की यातायात व्यस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कृत संकल्पित हैं। अब यातायात विभाग द्वारा अभियान चलाया जाएगा।

माता-पिता भी ध्यान दें

यातायात पुलिस और ऑटो चालक तो जिम्मेदार हैं ही, हमारे अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। बच्चों को किसी भी कीमत पर ड्राइवर के पास न बैठने दें। यदि ड्राइवर मनमानी करता है तो एसपी और कलेक्टर को शिकायत करें। स्कूल प्रबंधन से बात करें। बताएं कि हम अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं मौत के कुएं में नहीं। यदि आप स्कूल की फीस बढऩे पर आंदोलन कर सकते हैं तो बच्चों की सलामती के लिए आगे क्यों नहीं आ सकते।

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