Sunday, December 3, 2023
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विक्रम विश्वविद्यालय पीएचडी कांड में नया मोड

विक्रम विश्वविद्यालय पीएचडी कांड में नया मोड

इंजीनियरिंग विषय की प्रवेश परीक्षा निरस्त…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:विक्रम विश्वविद्यालय के पीएचडी काण्ड में फिर एक नया मोड आ गया है। विवि कार्यपरिषद द्वारा मामले में विधिक अभिमत प्राप्त कर आगे कार्रवाई करने के निर्णय के बाद प्रवेश परीक्षा को निरस्त कर दिया गया है। इस संबंध में कुलसचिव द्वारा अधिसूचना जारी की गई है। इधर अभाविप ने इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई और कुलपति से नैतिकता के आधार पर पद से त्यागपत्र देने की मांग कर ली है।

करीब एक माह पहले पीएचडी प्रवेश परीक्षा कांड में लोकायुक्त द्वारा मामला दर्ज करने के बाद करीब 30 दिन पहले विवि कार्यपरिषद की बैठक में इंजीनियरिंग विषय की पीएचडी प्रवेश परीक्षा का मुद्दा रखा गया था। कार्यपरिषद ने इस संबंध में विधिक अभिमत लेकर आगे की कार्रवाई करने का निर्णय लिया था।

विवि कुलसचिव ने 27 जुलाई को अधिसूचना जारी कर पीएचडी इंजीनियरिंग विषय के अंतर्गत सभी विषय की प्रवेश परीक्षा निरस्त कर दी है। अधिसूचना कहा गया है कि कुलपति के आदेशानुसार तथा विधिक अभिमत के आधार पर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 6 मार्च 2022 की समस्त अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) विषयों की पीएचडी प्रवेश निरस्त की जाती है। अधिसूचना जारी होने के बाद हड़कंप मचा गया है। दरअसल परीक्षा निरस्त होने से वे अभ्यार्थी भी प्रभावित हो रहे है,जिन्होनें सही तरीके से परीक्षा देकर सफलता प्राप्त की।

अन्य अभ्यार्थियों के सामने संकट

विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग के अंतर्गत पांच विषय इलेक्ट्रॉनिक,केमिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्युटर सांइस विषय के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। इंजीनियरिंग विषय की समस्त परीक्षा निरस्त होने से ईमानदारी से परीक्षा पास करने वालों के सामने तो संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि प्रवेश परीक्षा के बाद विश्वविद्यालय ने कोर्स वर्क की 6 माह की क्लास संचालित कर कोर्सवर्क की परीक्षाएं भी करा ली है। हालांकि अभी तक मामला उलझा होने से आरडीसी नही कराई गई थी।

लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होने के बाद बवाल मचा

बता दें विक्रम विश्वविद्यालय में 6 मार्च 2022 में हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा में पहली बार इंजीनियरिंग विषय को भी शामिल किया गया था। विश्वविद्यालय के ही जिम्मेदारों ने अपात्रों को पास करने के लिए आंसरशीट में कांट-छांट करते हुए नंबर बढ़ा दिए। फेल हुए अभ्यर्थियों को पास कर दिया। इंजीनियरिंग विषय की प्रवेश परीक्षा में 12 आंसरशीट (ओएमआर) में कांट-छांट पाई गई। लोकायुक्त में शिकायत के बाद प्रारंभिक जांच के आधार पर पहले तात्कालीन कुलसचिव सहित 5 लोगों,फिर 3 अभ्यार्थियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए थे। वहीं मामले की जानकारी के लिए कुलपति को लोकायुक्त कार्यालय बुलवाया गया था।

पीएचडी घोटाले पर अभाविप ने कुलपति से मांगा इस्तीफा

पीएचडी घोटाले को लेकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपने ही प्रमुख अनुषांगिक संगठन की सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के विश्वविद्यालय को लेकर मोर्चा खोल दिया है। अभाविप ने पीएचडी घोटाले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और नैतिकता के आधार पर कुलपति से इस्तीफे की मांग कर दी है। अभाविप प्रांत मंत्री राधिका सिंह सिकरवार और मालवा प्रांत की सहमंत्री ऋतिका नागर ने बताया कि विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न घोटाले और पीएचडी प्रवेश परीक्षा में गंभीर गड़बड़ी मामले में कसूरवार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए निलंबित किया जाना चाहिए।

अभाविप द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि विगत कई दिनों से पीएचडी घोटाला शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें लोकायुक्त की जांच भी चल रही है। इसमें जिन कसूरवार के नाम सामने आए हैं उन पर तत्काल कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। पीएचडी प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी सामने आने के बावजूद विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों द्वारा दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं करना आश्चर्यजनक है।

प्रकरण में लोकायुक्त की जांच और फिर कुलपति को पूछताछ के लिए लोकायुक्त में बुलाए जाने से विश्वविद्यालय की छवि को ठेस पहुंची है। कुलपति की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इसे देखते हुए कुलपति को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए।

अभी तक आठ पर एफआईआर: मामले लोकायुक्त ने डॉ. प्रशांत पुराणिक, वीरेंद्र उचावरे, प्रोफेसर डॉ. पीके वर्मा, डॉ. गणपत अहिरवार, प्रोफेसर व्हायएस ठाकुर, एटा-यूपी निवासी गौरव शर्मा, इटावा-देवास निवासी अंशुमा पटेल और उज्जैन निवासी अमित मरमट के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

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