देवासगेट बस स्टैंड यात्री परिवहन का बड़ा केंद्र, रोज लाखों का व्यापार लेकिन साफ-सफाई और सुविधा के नाम पर जीरो मेंटनेंस
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन रेलवे स्टेशन के बाद देवासगेट बस स्टैंड यात्री परिवहन का सबसे बड़ा केंद्र हैं। रोजाना इस बस स्टैंड से 10-15 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। हर दिन यहां लाखों रुपए का व्यापार होता है, लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर बस स्टैंड जीरो है। बस स्टैंड पर सफाई के लिए कुछ भी खर्च नहींं होता, यहां की गंदी सड़कें और नाले-नालियां इस बात की गवाही देते हैं। यात्री सुविधा के नाम पर भी कोई खर्च नहीं होता हालांकि सुविधा के नाम पर सुलभ शौचालय है जिसे पैसा देने के बाद उपयोग किया जा सकता है। यह भी नगर निगम और जिम्मेदारों की कमाई का एक साधन मात्र है।
देवासगेट बस स्टैंड से कोटा, रतलाम, बडऩगर, महिदपुर, उन्हेल, घटिया, घोंसला, नजरपुर, आगर, नलखेड़ा, शाजापुर, मक्सी, सारंगपुर, सुसनेर, महिदपुर, नीमच सहित लंबे रुट की बसें ओंकारेश्वर, शिरडी और गुजरात व महाराष्ट्र राज्य के जिलों में जाती हैं। इन विभिन्न रुटों पर 200 से ज्यादा बसें संचालित होती हैं। एक बस दो से तीन फेरे लेती हैं प्रत्येक बस में 30 से 80 यात्री तक सवार होते हैं इसके मुताबिक हर दिन लगभग 10 से 15 हजार यात्री उज्जैन से इन विभिन्न शहरों और राज्यों में सड़क मार्ग से सफर करते हैं।
रोजाना बस यात्रियों के माध्यम से लाखों रुपए का व्यापार होता है लेकिन जिस स्थान को लेकर बड़ी आर्थिक गतिविधि होती है जिला प्रशासन और नगर प्रशासन ने उसके उद्धार को नजर अंदाज कर दिया है। हालांकि रोडवेज के बंद होने के बाद पिछले 15 सालों में कईं बार बस स्टैंड को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गई। कागजों पर योजनाएं बनाई गई लेकिन जिम्मेदार इसे अमलीजामा पहनाकर धरातल पर नहीं उतार पाए।
टिकट विंडो नहीं, नो क्लेम नो ग्यारंटी
रोडवेज बंद होने के बाद देवासगेट से शत-प्रतिशत प्राइवेट बसों का संचालन हो रहा है। तभी से यहां टिकट विंडों बंद हो गई। सिंहस्थ से पूर्व यात्री सुविधा को देखते हुए प्रशासन ने टिकट विंडों की शुरूआत की थी लेकिन बाद में ये वापस बंद कर दी गई। अब बस में बैठों और बस कंडक्टर को सीधे यात्रा शुल्क जमा कराओ। ना तो बीमा, ना क्लेम मसलन बस की यात्रा में दुर्भाग्यवश एक्सीडेंट जैसी घटना होने पर नो क्लेम नो ग्यारंटी क्योंकि यात्रियों के पास टिकट नहीं होता।
पूछताछ काउंटर नहीं, एजेंट चिल्ला-चिल्लाकर यात्रियों को बुलाते…
देवासगेट बस स्टैंड पर पूछताछ करने के लिए भी कोई काउंटर नहीं है। यात्री को किसी गंतव्य पर जाने के लिए सबसे बड़ी इसी समस्या का सामना करना पड़ता है। यहां बसों के बारे में बताने वाले केवल एजेंट हैं जिन्हें अपनी सवारी और अपने रूट से मतलब होता है। वे अपनी गाडिय़ों को भरने के लिए चिल्लाते रहते हैं। ऐसे में महिला यात्रियों को और ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत बस स्टैंड पर साफ-सफाई करवाई जा रही है। बस स्टैंड के रेगुलर मेंटेंनेंस के लिए भी निगम ने योजना बनाई है।
कीर्ति चौहान, उपायुक्त नगर निगम
यात्रियों की संख्या बढऩे से सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई है इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा। स्वच्छता अभियान के तहत यहां विशेष सफाई कराई जाएगी। जल्द ही देवासगेट बस स्टैंड पूर्ण रूप से साफ-सुथरा दिखाई देगा।
रोशन सिंह, निगमायुक्त
शहर को स्वच्छता में ग्रेड दिलाना है तो साफ करो बस स्टैंड
स्मार्ट सिटी उज्जैन के इस बस स्टैंड की हालत अब भी वही है जो पिछले 10 साल पहले थी। हालांकि 15 साल पहले की बात करें तो यहां सुविधाएं और स्वच्छता दिखाई देती थी। शहर में रहने वाले पुराने लोगों से बात करने पर पता चला कि 15 साल पहले जब रोडवेज की बसें चलती थी तब यात्री और बसों की संख्या कम थी। शौचालय भी साफ-सुथरा था और टॉयलेट के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं थी।
टिकट विंडों पर टिकट बाबू से बसों के रूट और समय के बारे में जानकारी मिल जाती थी लेकिन अब ये पूरा क्षेत्र गंदगी से भरा हुआ है। शहर के प्रमुख डाकघर के गेट, देवासगेट थाना के मुख्य गेट और हनुमान जी के मंदिर परिसर के समीप बने सुलभ शौचालय के समीप निकलने पर बदबू आती है। यदि शहर को स्वच्छता में अच्छी ग्रेड दिलाना है तो नगर निगम को सबसे पहले देवासगेट बस स्टैंड की सफाई कराना चाहिए।