महाकाल मंदिर के ध्वज से बने उज्जैन और मध्यप्रदेश की पहचान
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। इस माह के अंत में गुड़ीपड़वा यानी चैत्र प्रतिपदा (30 मार्च) पर हर साल की तरह महाकाल मंदिर के शिखर पर नया ध्वज आरोहित होगा। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने शिखर के पास विशाल त्रिशूल।लगाने का निर्णय भी लिया है, लेकिन इस ध्वज के साथ त्रिशूल लगाने को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन शिखर के ध्वज से उज्जैन और प्रदेश की पहचान बनाने की आवाज भी उठी है।
महाकाल मंदिर का पारंपरिक ध्वज हर साल गुड़ी पड़वा के दिन बदला जाता है। मंदिर प्रबंध समिति यह भी प्रयास कर रही है कि शिखर के पास एक विशाल त्रिशूल भी लगाया जाए। मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य पंडित राजेंद्र गुरु ने समिति की बैठक में त्रिशूल लगाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे पारित भी किया जा चुका है किंतु अब तक इसे आकार नहीं दिया जा चुका है।
त्रिशूल लगाने के लिए मंदिर प्रशासन में नोटशीट लगाई गई है। अभी यह निर्णय प्रक्रिया में है। इस कारण 30 मार्च को त्रिशूल की स्थापना हो सकेगी, इसमें संशय है। महाकाल भक्तों के बीच यह आवाज भी उठी है कि शिखर का ध्वज उज्जैन सहित।पूरे प्रदेश की एक पहचान बने। हालांकि गुड़ी पड़वा पर हर साल की तरह नया ध्वज लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बार 30 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शहर में ही रहेंगे। संभावना है कि वे भी ध्वजारोहण में उपस्थित रहेंगे।
डॉक्टर की पहल पर त्रिशूल का प्रस्ताव
महाकाल मंदिर के शिखर पर विशाल त्रिशूल लगाने का सुझाव हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय गर्ग ने मंदिर प्रशासन के समक्ष रखा था। वे चाहते हैं त्रिशूल के कारण मंदिर की एक अलग पहचान बने और दूर से देखने पर भी महाकाल मंदिर के शिखर को देखा जा सके ताकि श्रद्धालु आसानी से शिखर दर्शन दूर से कर सकें।
अभी प्रक्रिया में योजना
महाकाल मंदिर के शिखर पर विशाल त्रिशूल लगाने का निर्णय हुआ है। इसको।लेकर अभी प्रक्रिया चल रही है। नव संवत्सर पर यह स्थापित हो सकेगा, यह कहना अभी मुश्किल है।
पं. राजेंद्र गुरु
सदस्य, महाकाल मंदिर प्रबंध समिति