मैड्रिड में कोरोना महामारी खत्म होने के बाद किए गए शोध में दुष्प्रभाव को अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे मिले
नईदिल्ली। कोरोना महामारी खत्म हो चुकी है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव अब भी सामने आ रहे हैं। गंभीर कोरोना संक्र्रमण की चपेट में आए लोगों को आज भी कई प्रकार की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के दौरान आईसीयू में भर्ती रहे मरीजों पर एक फालोअप अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि आईसीयू से बचकर लौटे करीब एक चौथाई (22 फीसदी) मरीजों को फिर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
कोरोना संक्रमण के दूरगामी प्रभावों को लेकर यह पहला अध्ययन सामने आया है। यह अध्ययन मैड्रिड (स्पेन) के मारानोन नेशनल हॉस्पिटल में किया गया है, लेकिन इसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने प्रकाशित किया है। अध्ययन में मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच आईसीयू में भर्ती हुए 505 मरीजों की 1154 दिनों (तीन साल से अधिक) तक निगरानी की गई। शोधपत्र में कहा गया है कि इनमें से 164 यानी 32.5 फीसदी मरीजों की आईसीयू में ही मौत हो गई थी और शेष 341 ठीक होकर घर लौट गए थे। घर लौटे लोगों की जनवरी 2024 तक लगातार चिकित्सकीय निगरानी की गई। इनमें से 75 यानी 22 फीसदी मरीज फिर बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। इनमें से भी 19 को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। जिन मरीजों को दोबारा भर्ती कराना पड़ा उनमें 10 की मौत हो गई।
सवा साल से पहले ही फिर भर्ती कराना पड़ा
अध्ययन के अनुसार औसतन 415 दिनों के भीतर इन लोगों को फिर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इनमें से 85 फीसदी मरीजों में शुरूआती लक्षण बुखार के थे। हालांकि, भर्ती के दौरान देखा गया है कि सर्वधिक 22 मरीज को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। 16 यानी 21.3 फीसदी में संक्रमण पाया गया। छह को दिल की बीमार व छह को कैंसर हुआ।
एक चौथाई पर खतरा
अध्ययन से नतीजा निकाला गया कि जो लोग कोविड से गंभीर रूप से प्रभावित हुए और इलाज के बाद ठीक हो गए हैं, उनमें से करीब एक चौथाई पर फिर से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा हो सकता है। कारणों को लेकर कहा गया है कि इसमें कोविड के दूरगामी प्रभाव, उम्र से जुड़े कारण और किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त होना भी शामिल है।