Advertisement

विजयादशमी उत्सव में हर परिवार से एक सदस्य जोड़ेंगे

आरएसएस के शताब्दी वर्ष की तैयारी जोरों पर, 5 अक्टूबर को उज्जैन महानगर के 7 नगरों में मनेगा उत्सव

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। अपने शताब्दी साल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू परिवार के कम से कम एक सदस्य को पूर्ण गणवेश में विजयादशमी उत्सव में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। उज्जैन महानगर के सात नगर में ५ अक्टूबर को होने वाले आयोजन में ३५ हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक और पदाधिकारी घर-घर संपर्क कर रहे हैं।

1925 में नागपुर में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जड़ें भारत के साथ पूरे विश्व में फैली हुई हैं। संघ के करीब 100 से ज्यादा संगठन देश-दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। भाजपा, बजरंगदल, विहिप, राष्ट्रसेविका समिति, संस्कार भारती, विद्या भारती, वनवासी कल्याण परिषद, भारतीय किसान संघ इनमें प्रमुख हैं।

Advertisement

अपने 100 वें साल को यादगार बनाने के लिए संघ पूरे साल पूरे साल कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसकी शुरुआत विजयादशमी महोत्सव से होगी। संघ में यूं तो साल भर कार्यक्रम होते हैं लेकिन दो को सबसे बड़ा माना जाता है। पहला विजयादशमी और दूसरा गुरु पूर्णिमा महोत्सव।

क्या कर रहे हैं पदाधिकारी: मालवा प्रांत के सह कार्यवाह मनीष गोयल बताते हैं कि संपर्क प्रमुख और स्वयंसेवक घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं। कोशिश यह है कि हर हिंदू घर से एक शख्स संचलन में शामिल हो, अगर संचलन में नहीं आ सकते तो उत्सव में तो शामिल हो ही। ताकि वह संघ को समझ सकें, जान सकें। इसकी तैयारी जोरदार चल रही है।

Advertisement

क्या है इस बार खास

उज्जैन महानगर के सात नगर केशवनगर, विक्रमादित्य नगर, मधुकर नगर, सुदर्शननगर, माधवनगर, राजेंद्र नगर और कालिदास नगर में विजयादशमी महोत्सव होंगे।

इन नगरों के इलाकों में शाम 4 बजे शारीरिक कार्यक्रम, बौद्धिक के बाद पथ संचलन निकाला जाएगा।

अभी तक उज्जैन महानगर में 3900 स्वयंसेवकों का संचलन सबसे बड़ा निकला है, इस बार यह संख्या 21 हजार तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। यानी हर नगर में कम से कम ३ हजार लोग संचलन में शामिल हों।

विजयादशर्मी उत्सव में कम से कम 5 हजार लोगों को संघ गणवेश ( काली टोपी, सफेद कमीज, अफ्रीकन ब्राउन पेंट, नायलोन बेल्ट, काले जूते, ब्राउन मोजे ) में जोडऩे की कोशिश की जा रही है। जैन संतों के सुझाव के बाद संघ ने गणवेश में चमड़े की बनी वस्तुओं का प्रयोग बंद कर दिया है।

हर वर्ग को जोडऩे के लिए विजयादशमी उत्सव के लिए रविवार के दिन का चयन किया गया है। समय भी शाम ४ बजे का रखा है।

Related Articles