अक्षरविश्व एक्सक्लूसिव: देश का पहला अनूठा लिफ्ट सी ब्रिज रहेगा
रामेश्वरम से सुधीर नागर|उज्जैन। यह जो ब्रिज आपको दिखाई दे रहा है वह रामेश्वरम की धरती पर आधुनिक टेक्नोलॉजी का अनूठा उदाहरण है। करीब 550 करोड़ रुपयों से बना यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज है, जहां जहाज आते ही खुल जाएगा और नीचे से गुजरकर चला जाएगा। मध्यप्रदेश के उज्जैन, इंदौर, भोपाल सहित देश के कई शहरों से रामेश्वरम मंदिर जाने वाले दर्शनार्थियों के लिए ट्रेन यात्रा के दौरान एक अलग अनुभव देगा। ब्रिज बनकर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की राह देख रहा है, जब इसका उद्घाटन होगा।
पंबन ब्रिज भारत के तमिलनाडु राज्य में पम्बन द्वीप को मुख्यभूमि में मंडपम से जोडऩे के लिए नई तकनीक से बनाया गया है। किसी खाड़ी पर बना हुआ भारत का सबसे लम्बा पुल है। इससे मंडपम से रामेश्वरम के बीच की दूरी घटकर सिर्फ 20 मिनट रह जाएगी। यह मौजूदा पुल से करीब 10 फीट ऊंचा है। नए पुल में बड़ी नावों को नीचे से गुजरने की अनुमति देने के लिए उच्च निकासी होगी, जिससे समुद्री संपर्क में सुधार होगा और क्षेत्र में सुगम परिवहन की सुविधा होगी। इसे इस हिसाब से बनाया गया है कि नीचे से बड़े पोत भी निकल सकें। पुराने ब्रिज को बहुत समय पहले बंद किया जा चुका है और नए ब्रिज का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पित कराने का प्रस्तावित कार्यक्रम है।
पुराना ब्रिज: टॉर्च की रोशनी से चली थी रेल…
अंग्रेजों के जमाने में बना पंबन ब्रिज राष्ट्रीय स्मारक बन सकेगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट है लेकिन इससे जुड़ी यादों के चलते इसे स्मारक बनाया जा सकता है। पूर्व लोको पायलट कृष्णन के अनुसार जब समुद्र में ऊंची लहरें उठती थीं, तो पानी ट्रेन के इंजन तक पहुंच जाता था, जिसके बाद इंजन रुक जाता था और धीरे-धीरे चलना पड़ता था। एक बार ट्रेन की हेडलाइट टूट गई थी, ट्रेन के आगे दो टॉर्च लाइट लगाईं और अलार्म बजाते धीरे-धीरे पंबन ब्रिज पार किया जा सका था। 1964 में आए चक्रवात के कारण धनुष्कोडी का छोटा सा द्वीप नष्ट हो गया था, जिससे यह पुराना ढांचा भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। मेट्रो मैन के नाम से मशहूर तत्कालीन युवा ई. श्रीधरन के नेतृत्व में इंजीनियरों की एक टीम ने रिकॉर्ड 46 दिनों में वापस तैयार कर दिया था।
दो साल से ट्रेन बंद, अब जल्द पूरा होगा सपना
नया पंबन ब्रिज निर्माण होने के कारण पिछले दो साल से ट्रेनों का आवागमन बंद है। रेल यात्रा के साथ गहरा और नीला समंदर देखना एक यादगार पल होता है, लेकिन अभी यह ब्रिज बंद है। ब्रिज का परीक्षण किया जा चुका है। इंतजार है तो उस दिन का जब प्रधानमंत्री मोदी इसका लोकार्पण करेंगे। हाइटेक इंजीनियरिंग के मामले में बेमिसाल इस पुल में 18.3 मीटर के 100 स्पैन हैं।
लिख दिया नया इतिहास…
पंबन ब्रिज भारत का पहला समुद्री ब्रिज
1914 में यह बनकर तैयार हुआ था।
इसे बनाने का काम 1870 के दशक में शुरू हुआ था, जब ब्रिटिश सरकार ने श्रीलंका तक व्यापार संपर्क बढ़ाने का फैसला किया था।
लगभग 2.2 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज पर 143 खंभे (पिलर)थे।
1988 तक रामेश्वरम और मुख्य भूमि के बीच एकमात्र संपर्क हुआ करता था।
2010 तक इसकी गिनती सबसे लंबे ब्रिज में होती थी।
1913 में एक जर्मन इंजीनियर ने इसका डिजाइन बनाया था और अंग्रेज इंजीनियर शेरशेर के नेतृत्व में बनाया गया था।
1988 में पंबन ब्रिज के पैरेलल रोड ब्रिज बनाया गया था।
दिसंबर 2022 से इस ब्रिज पर रेलों का आवागमन बंद है। इस कारण ट्रेनें सिर्फ मंडपम तक ही आती है।
दो साल बाद भारत सरकार ने नया ब्रिज बनाकर एक नया इतिहास लिख दिया।