दो दिन पहले निकले पंचक्रोशी यात्री दूसरे उपपड़ाव शनि मंदिर पर पहुंचे

पंचक्रोशी यात्रा तिथि के अनुसार आज से
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी वैशाख मास की दशमी तिथि पर प्रारंभ होने वाली पंचकोशी यात्रा आज से शुरू हो गई है, जबकि हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने दो दिन पहले ही अपनी यात्रा शुरू कर दी थी। 1 मई को यात्रा के लिये रवाना हुए यात्री सुबह त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर पहुंच गये जबकि 2 मई को निकले यात्री पहले पड़ाव पर।

पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होने वाले ग्रामीणजन निधारित तिथि से दो दिन पहले ही अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि पुलिस प्रशासन को पूरे मार्ग पर व्यवस्थाएं जुटाना पड़ती हैं और पांच दिनों तक चलने वाली यात्रा 7 दिनों की हो जाती है। 1 मई को यात्रा पर निकले यात्री पहला पड़ाव पिंगलेश्वर पहुंचने के बाद यहां स्नान, पूजन करते हुए त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर पहुंच गये।
यात्रियों ने यहां घाट पर लगे फव्वारों में स्नान किया और आराम करने के बाद दूसरे पड़ाव करोहन के लिये रवाना हो गये। इधर 2 मई को भगवान नागचंद्रेश्वर से बल लेकर यात्रा को निकले हजारों लोग पहले पड़ाव पिंगलेश्वर पर डेरा डाले हैं, जबकि तिथि अनुसार वैशाख मास की दशमी तिथि से शुरू होने वाली पंचक्रोशी यात्रा आज से प्रारंभ हो रही है। पुलिस व प्रशासन द्वारा यात्रियों की सुरक्षा, पेयजल आदि की व्यवस्थाएं की हैं।
यह है पंचकोशी यात्रा का महत्व
भगवान महाकालेश्वर का मंदिर मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में रक्षा के लिये महादेव ने चार द्वारपाल शिवरूप में स्थापित किये हैं जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं।
इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंतिखण्ड में मिलता है। पंचेशनी यात्रा जिसे पंचक्रोशी यात्रा कहते हैं इन्हीं चार द्वज्ञक्रपालों की कथा, पूजा, विधान में इस परिक्रमा का महत्व है। पांच दिवस की उक्त यात्रा प्रतिवर्ष वैशाख मास की दशमी तिथि से शुरू होती है। यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु पटनी बाजार स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर से बल लेकर अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं और पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, अंबोदिया, कालियादेह महल, जैथल व उण्डासा होते हुए 118 किलोमीटर की यात्रा का कर्क तीर्थवास में समापन होता है।








