माह के पहले सप्ताह में देनी होगी वसूले किराए की जानकारी
उज्जैन। नगर निगम सीमा में आने वाले होटल, लॉज और यात्रीगृह समेत धर्मशालाओं तक में ठहरने वाले यात्रियों पर अब संचालकों को नगर निगम को यात्रीकर देना होगा। यह प्रस्ताव को इस वर्ष निगम परिषद के सम्मेलन में मंजूर कर दिया गया था और 1 अपै्रल से इसे लागू कर दिया गया है।
महानगरों की तर्ज पर अब उज्जैन नगर निगम भी अपनी सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी होटल, लॉज, यात्रीगृह, गेस्टहाऊस, जमातखाना समेत धर्मशालाओं में ठहरने वाले यात्रियों और पर्यटकों से अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स वसूलने की तैयारी में है। इसके प्रस्ताव पर ठहराव हो चुका है और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रभावशाली कर दिया गया है। इसके प्रस्ताव को निगम परिषद् में गत 31 मार्च को मंजूरी मिल चुकी है। यह अप्रैल से लागू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि शहर में बाहरी यात्री और पर्यटक यहां होटल, लॉज, आदि में रुकते हैं और गंदगी होती है। ऐसे में नगर निगम को इनकी सफाई करवानी पड़ती है। हर साल इस पर नगर निगम का लाखों रुपया खर्च होता है। जानकारों का कहना है कि निगम को होटल संचालकों से यात्री टैक्स लेने का अधिकार है। यही कारण है कि नगर निगम में 1 अपै्रल 2023 से यात्री कर को अनिवार्य कर दिया गया है।
यह होंगी टैक्स दरें
- होटल, लॉज, यात्रीगृह आदि में ठहरने वाले यात्रियों के द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि का कुल 5 प्रतिशत यात्रीकर संचालकों को नगर निगम को देना होगा।
- धर्मशाला में ठहरने वाले यात्रियों के द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि का कुल 3 प्रतिशत यात्रीकर संचालकों को नगर निगम को देना होगा।
- होटल संचालकों/प्रोपरायटरों को हर माह के पहले सप्ताह में निर्धारित प्रारूप के अनुसार स्व-विवरणी में दर्ज यात्री किराया दर की जानकारी नगर निगम मुख्यालय स्थित लाइसेंस शाखा में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगी।
यात्रियों की जेब पर पड़ेगा असर
नगर निगम ने भले ही एक अप्रैल से होटल व धर्मशाल संचालकों पर यात्री कर अनिवार्य कर दिया हो, लेकिन इसका सीधा नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से असर यात्रियों की जेब पर ही पड़ेगा। हर माह के पहले सप्ताह में ठहरे यात्रियों की किराया वसूली समेत जानकारी नगर निगम को देना तय किया गया है। ऐसे में संचालक यात्रियों से ही किराया बढ़ाकर यात्रीकर की राशि वसूल करेंगे।
400 से अधिक होटल/गेस्टहाऊस शहर में
धर्म नगरी उज्जैन में होटल, गेस्ट हाऊस, लाजों की भरमार है। स्टेशन से लेकर महाकाल मंदिर तक दायरें में ही 300 से अधिक छोटे बड़े होटल, गेस्टहाऊस, लॉज, धर्मशाला और मुसाफिर खाने मौजूद हैं। नगर निगम रिकॉर्ड के मुताबिक नगर निगम सीमा के अंतर्गत ऐसे 400 से अधिक होटल और गेस्टहाऊस आदि है जिनमें लगभग 20 हजार कमरे हैं। पहले यह विकेंट और विशेष पर्वों पर फुल रहते थे लेकिन महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद से हर समय अधिकांश होटल और गेस्टहाऊस आदि फुल रहते हैं।