फोरलेन रोड से भर्तृहरि गुफा तक आ-जा सकेंगे लोग

यूडीए ने शुरू की तैयारी, टेंडर खुलने का इंतजार
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अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। इस बार आने वाले सिंहस्थ 2028 में श्रद्धालु फोरलेन रोड से भर्तृहरि गुफा तक पहुंच सकेंगे। खाकचौक से गुफा तक फोरलेन रोड बनाने का काम उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) करेगा। इसके लिए ठेका देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। बारिश बाद रोड का काम शुरू हो सकेगा।
पहली बार गढक़ालिका मंदिर के सामने से भर्तृहरि गुफा तक रोड का चौड़ीकरण किया जाएगा। यूडीए ने इसके लिए 21.15 करोड़ रुपए का टेंडर लगाया है। रोड किनारे खेती की जमीन है। इस कारण इसे बनाने में अड़चनें भी नहीं आएंगी। टेंडर मई अंत में खुलने के बाद वर्क ऑर्डर जारी करने की प्रक्रिया की जाएगी।
अंकपात क्षेत्र से गढक़ालिका मंदिर और भर्तृहरि गुफा तक सिंहस्थ के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ का दबाव रहता है। रामादल के सासु संत इसी क्षेत्र में अपने पड़ाव लगाते हैं। पिपलीनाका से कालभैरव मंदिर को जोडऩे वाली रोड पर चौराहे से गढक़ालिका मंदिर जाने वाला मार्ग बेहद संकरा है। इसकी चौड़ाई 8 फीट भी मुश्किल से है। अब इसे चौड़ा कर करीब 60 फीट किया जाएगा। इससे साधु संतों और श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा मिलेगी।
विष्णु चतुष्टिका मंदिर होगा विकसित
गढक़ालिका मंदिर के ठीक पास इसी रोड पर पुरातत्व महत्व का विष्णु चतुष्टिका मंदिर भी है। इस मंदिर की खास बात यह है कि गर्भगृह में हाथ की थपकी देने से तबला बजने जैसी मधुर आवाज आती है। मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक और पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम के तहत इस मंदिर को राजकीय महत्व का घोषित किया गया है। मंदिर की मूर्तियां कई तालों में बंद रहती है, ताकि कोई इनको चुराकर ले जा न सके। फोरलेन बनने से इस मंदिर के विकास की राह भी खुलेगी। वर्तमान में यह मंदिर बहुत छोटा है। पहुंच मार्ग संकरा होने के कारण दर्शनार्थी ज्यादा नहीं आ पाते।
भर्तृहरि गुफा का महत्व
भर्तृहरि गुफा का संबंध राजा भर्तृहरि और गोरखनाथ से गहरा है।
इस गुफा में राजा भर्तृहरि ने कठोर तपस्या की थी। 12 सालों तक उन्होंने यहां तपस्या की थी।
तपस्वी गुरु गोरखनाथ की प्रेरणा से राजा ने संन्यास लिया था।
कहते हैं एक बार इंद्र ने राजा की तपस्या भंग करने के लिए एक विशाल पत्थर गुफा पर गिरा दिया था, जिसे भर्तृहरि ने एक हाथ से रोक दिया था।
आज भी इस पत्थर पर राजा भर्तृहरि के हाथ के पंजे के निशान हैं।