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छेड़छाड़ के आरोपी पीयूष भार्गव को फिर मिली संविदा नियुक्ति

गड़बड़ी: एमआईसी ने किया नियुक्ति का प्रस्ताव गुपचुप पास, जबकि हाईकोर्ट में चल रहा केस

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। सीएम डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में अनियमितता और लापरवाही बरतने वाले अफसरों-कर्मचारियों पर भले ही सख्त कार्रवाई हो रही है, लापरवाही बरतने वाले अफसर हटाए जा रहे हैं, लेकिन उज्जैन नगर निगम के अफसर सीएम की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। महिला उपयंत्री से छेड़छाड़ के आरोपी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव की संविदा नियुक्ति की एमआईसी ने पुष्टि कर दी है। इसके लिए गुपचुप प्रस्ताव लाया गया और इसे मंजूरी भी दे दी गई।

भार्गव पर निगम की एक उपयंत्री ने छेड़छाड़ और आपत्तिजनक बातें करने के आरोप लगाए थे। करीब तीन महीने पहले हुई इस घटना का ऑडियो वायरल होने के बाद निगमायुक्त आशीष पाठक ने दिखावे के लिए समिति बनाई थी। विशाखा समिति ने अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौंपी थी। निगम की आंतरिक कमेटी, पुलिस प्रशासन, महिला आयोग से होते हुए यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। अभी यहां से किसी तरह का फैसला नहीं आया है, उसके पहले ही निगम प्रशासन और एमआईसी ने कोर्ट के फैसले का इंतजार न करते हुए भार्गव की संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव की पुष्टि कर दी। मई में गुपचुप हुई पुष्टि की जानकारी हाल ही में बाहर आई है। भार्गव को बहाल करने के लिए एमआईसी में दो प्रस्ताव लाए गए और इनके जरिये पुष्टि कर ली गई। हालांकि निरंतरता के प्रस्ताव को पुलिस रिपोर्ट आने के बाद देना तय किया गया।

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भार्गव कांड में कब-क्या

भार्गव निगम से सहायक यंत्री से सेवानिवृत हुए थे और इन्हें 2023-24 में संविदा पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री नियुक्त किया गया।

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यह नियुक्ति एक साल के लिए थी और यह कार्यकाल मार्च 2025 में पूरा हो गया।

संविदा नियुक्ति खत्म होने पर 2025 में फिर प्रभार देने के लिए मार्च में पहली बार प्रस्ताव आया। शासन की प्रत्याशा में एमआईसी ने प्रस्ताव को स्वीकृति भी दे दी।

इस बीच महिला उपयंत्री ने भार्गव पर छेड़छाड़ सहित अन्य आरोप लगाए। इसके बाद प्रस्ताव को अगली एमआईसी में पुष्टि नहीं मिल पाई। 13 मई को एमआईसी में भार्गव को लेकर दो प्रस्ताव रखे गए। पहले में संविदा नियुक्ति के पुराने प्रस्ताव की पुष्टि की गई और फिर प्रभार देने की निरंतरता के प्रस्ताव पर पुलिस की कार्रवाई के बाद निर्णय लेने की बात तय हुई।

महिला उपयंत्री हाईकोर्ट पहुंची हैं, कोर्ट ने निगम आयुक्त को पत्र भेजकर मामले की जानकारी मांगी है। मामले में अगली सुनवाई 29 जून को है।

नियुक्ति में फिट नहीं फिर भी बड़े काम सौंपे
सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों की संविदा नियुक्ति के नियम बिंदु 9 के अनुसार संबंधित अधिकारी की गोपनीय चरित्रावली अच्छी होना चाहिए। अधिकारी को उसके सेवाकाल में पिछले 10 वर्षों के दौरान कोई दंड नहीं दिया गया हो, अगर दिया गया है तो उसकी संविदा नियुक्ति नहीं हो सकती। भार्गव पर कई आरोप हैं, उनकी कई विभागीय जांच हुई और मामले कोर्ट तक भी पहुंचे लेकिन उनके पास नगर निगम से जुड़े सिंहस्थ-2028 के सबसे ज्यादा और बड़े प्रोजेक्ट हैं। इनमें मार्ग चौड़ीकरण, सौंदर्यीकरण, रीगल टॉकीज कॉम्प्लेक्स, प्रोजेक्ट सेल, कॉलोनी सेल जैसी जिम्मेदारी है।

निरंतरता की स्वीकृति नहीं दी
पीयूष भार्गव की संविदा नियुक्ति की प्रत्याशा की पुष्टि की गई है। चूंकि यह पुष्टि एमआईसी ने की थी, इसलिए उनकी नियुक्ति की पुष्टि पहले प्रस्ताव में की गई। दूसरे प्रस्ताव उनका निरंतरता का है, इसे स्थगित रखा है। इस पर फैसला पुलिस रिपोर्ट आने के बाद होगा।
मुकेश टटवाल, महापौर

इस संबंध में निगमायुक्त आशीष पाठक से चर्चा के काफी प्रयास किए लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

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