अक्षरविश्व ने 7 अक्टूबर को ही खुलासा कर दिया था
उज्जैन। अक्षरविश्व ने सात अक्टूबर के अंक में यह समचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था इंदौर के भिखारी उज्जैन में शरण ले रहे हैं। इन भिखारियों ने यहां आकर आतंक भी मचाया। बावजूद इसके प्रशासन ने इन भिखारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। नतीजतन, भिखारियों के हौसले बढ़ते गए और इंदौर की जमात यहां डेरा जमाने लगी।
खबर तो यहां तक है कि इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने अपने शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए कमर कस ली है। इंदौर के भिखारियों को भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं, वहां आदेश जारी हो चुके हैं कि कोई भी व्यक्ति भिखारियों को भीख नहीं देगा। जो देगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
इंदौर को भिक्षुक मुक्त शहर बनने में अब कोई देर नहीं है। वहां अभियान जोरशोर से चल रहा है। अब बारी है बाबा महाकाल की नगरी की। भिखारियों की बढ़ती संख्या यहां रहने वालों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। इंदौर से आने वाले भिखारियों ने कॉलोनियों और खाली प्लॉटों पर कब्जे जमा लिए हैं। कॉलोनियों में घूम कर यह भिखारी लोगों को परेशान करते हैं।
देवासगेट क्षेत्र में आतंक
भिखारियों की संख्या सिर्फ रामघाट या महाकाल क्षेत्र में ही नहीं है। देवासगेट क्षेत्र में भी इनकी संख्या बढ़ गई है। चामुंडा मंदिर समिति की ओर से इन्हें मुफ्त भोजन मिल जाता है और रात में यह भीख में मिली राशि से नशा करते हैं। इनके खिलाफ भी कार्रवाई होना चाहिए।
महाकाल पुलिस का अभियान
महाकाल पुलिस ने सोमवार को रामघाट इलाके में भिखारी पकड़ो अभिचान शुरू किया। पुलिस की गाड़ियों में भिखारियों को बैठाया गया और उनके आधार कार्ड देखे गए। महाकाल थाना प्रभारी नरेंद्र सिेंह परिहार का कहना है कि आधार कार्ड के आधार पर उन्हें उनके शहर में भेजा जाएगा जहां से वे आए हैं। जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं, लाचार हैं, अपंग हैं उन्हें अंबोदिया भेजा जाएगा। अब देखना है कि पुलिस की इस कार्रवाई में अंबोदिया आश्रम के संचालक प्रशासन को कितनी मदद करते हैं।