Friday, September 29, 2023
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शिप्रा नदी के लिए अलग बोर्ड बनाने का प्रस्ताव

महापौर ने की तैयारी, मुख्यमंत्री शिवराज को लिखेंगे पत्र

अक्षरविश्व प्रतिनिधि. उज्जैन शिप्रा नदी के लिए अब एक अलग बोर्ड बनवाने की पहल महापौर मुकेश टटवाल ने की है। इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भेजा जाएगा ताकि एक बोर्ड के अंतर्गत ही नदी के लिए काम हों। संभवत: सोमवार को ही इस सिलसिले में एक पत्र भेज दिया जाएगा।

दरअसल, शिप्रा नदी के लिए नगर निगम, जल संसाधन और पीएचई द्वारा अलग अलग स्तर पर काम किए जाते हैं, लेकिन कोई एक संस्था इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। नगर निगम की परेशानी यह है कि सारा जिम्मा उसी पर आ जाता है।

महापौर टटवाल ने पहल करते हुए शिप्रा नदी के लिए किए जा रहे कामों की जानकारी एकत्र की है। इसके आधार पर एक पत्र मुख्यमंत्री को भेजने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। शिप्रा नदी के लिए अलग बोर्ड बनने से नदी के लिए किए जाने वाले काम एक छत के नीचे हो सकेंगे और उसकी जिम्मेदारी भी तय होगी। महाकाल मंदिर में शिप्रा शुद्धिकरण की दानपेटी, एक पैसा नहीं आया

महाकाल मंदिर में शिप्रा शुद्धिकरण के लिए दानपेटी भी लगाई गई है। इसमें कितना पैसा आया, किसी को पता नहीं। खुद महापौर टटवाल ने बताया जब उन्होंने इसमें आई दानराशि की जानकारी ली तो बताया गया कि कोई राशि नहीं आई। जबकि दानपेटी बरसों से लगी है। बोर्ड बनने से इसकी जानकारी भी एक जगह मिल सकेगी। संभागायुक्त की अध्यक्षता वाला शिप्रा शुद्धिकरण न्यास भी है, लेकिन यह सिर्फ नाम का रह गया है।

प्रस्ताव भेजेंगे : शिप्रा नदी के लिए अलग अलग स्तरों पर काम होने से किसी एक की जिम्मेदारी तय नहीं है। इस कारण एक प्रस्ताव तैयार कर सीएम को भेजा जाएगा।
मुकेश टटवाल, महापौर

20 साल में 650 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च

  • 650 करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाएं अब तक शिप्रा नदी शुद्धिकरण के लिए बन चुकी हैं।
  • 566 करोड़ रुपए की खान डक्ट परियोजना जल संसाधन विभाग ने बनाई है। इसे सरकार की मंजूरी मिल गई है। टेंडर स्वीकृति के लिए भोपाल भेजा गया है।
  • 400 करोड़ से अधिक लागत की शिप्रा नर्मदा लिंक परियोजना लागू की गई।
  • 100 करोड़ रुपए की खान डायवर्शन योजना सिंहस्थ 2016 में बनी, लेकिन सिंहस्थ बाद यह नाकाम साबित हुई।
  • 6 करोड़ लागत की योजना से 2004 में सभी गंदे नालों को पाइपलाइन और पंपिंग स्टेशनों से जोड़कर सदावल ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया।
  • 4 करोड़ लागत से हरसिद्धि मंदिर से लाइन डाली गई जो गंदे पानी को रामघाट जाने से रोकने के लिए डाली गई थी।
  • 5 करोड़ की हरियाली शिप्रा योजना वन विभाग ने प्रस्तावित की है।
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