RBI : रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, आम लोगों को सस्ती EMI के लिए करना होगा इंतजार

By AV NEWS

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज समाप्त हो गई है।

गवर्नर शक्तिकांत दास समिति द्वारा लिए गए फैसलों की घोषणा कर रहे हैं।

यह वित्त वर्ष 2021-22 की पहली एमपीसी की बैठक है।

रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 में नीतिगत दरों संशोधन किया था।

पांच अप्रैल को शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज समाप्त हो गई है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समिति द्वारा लिए गए फैसलों की घोषणा कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा किए जा रहे ऐलान अहम हैं। यह वित्त वर्ष 2021-22 की पहली एमपीसी की बैठक है। मालूम हो कि रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 में नीतिगत दरों संशोधन किया था।

प्रमुख बातें:

आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है।

यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है।

मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी (MSF) रेट भी 4.25 फीसदी पर है।

दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।

इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है।

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को ‘उदार’ बनाए रखा है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार है, लेकिन अनिश्चितता अब भी बरकरार है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीपी में 10.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। पिछली बैठक में भी जीडीपी में 10.5 फीसदी की तेजी का ही अनुमान लगाया गया था।

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 22.6 फीसदी होगी, दूसरी तिमाही में 8.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.2 फीसदी।

शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बावजूद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है।

लेकिन हाल ही में जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़े हैं, उससे थोड़ी अनिश्चितता बढ़ी है। लेकिन भारत चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।

मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि, वित्त वर्ष 2022 में सीपीआई 5.1 फीसदी रह सकती है। पहली और दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.20 फीसदी रह सकती है। चौथी तिमाही में यह पांच फीसदी हो सकती है।

Share This Article