श्वेतांबर मंदिरों में कल्पसूत्र का वाचन, धार्मिक आयोजनों का दौर

जैन समाज के पर्युषण पर्व, जिनालयों में प्रतिदिन भगवान की अंगरचना भी की जा रही
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण पर्व के दौरान मंदिरों में प्रतिदिन भक्तामर पाठ, स्नात्र पूजन, प्रवचन एवं सामूहिक प्रतिक्रमण सहित अन्य धार्मिक क्रियाओं का सिलसिला चल रहा है। पर्युषण की अवधि में समाजजन कठोर नियमों का पालन कभी कर रहे है।

मंगलवार को पर्युषण पर अंतर्गत शहर के सभी श्वेतांबर जैन मंदिरों में धार्मिक आयोजन एवं कल्पसूत्र, बारसा सूत्र का वाचन किया गया। खाराकुआं स्थित सिद्धचक्र केसरिया नाथ महातीर्थ पर चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी अमितगुणाश्री कि मिश्रा में पर्युषण पर्व भक्तिभाव से मनाया जा रहा है।
श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी ट्रस्ट के सचिव नरेंद्र जैन एवं डॉ. राहुल कटारिया के अनुसार 5 सितंबर को प्रात: 10 बजे से प्रभु का जन्म वाचन मानेगा। 7 सितंबर को संवत्सरी पर्व, सामूहिक चैत्यपरिपाटी निकेलगी। प्रतिक्रमण में सभी समाजजन एक दूसरे से क्षमायाचना करेंगे। इसी प्रकार पर्युषण के अवसर पर आचार्य विजय हीरसूरिश्वर जैन बड़ा उपाश्रय में मंगलवार को कल्पसूत्र वाचन किया गया। प्रतिदिन भगवान की अंगरचना भी की जा रही है।
कल्पसूत्र जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है
कल्पसूत्र जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। पर्युषण पर्व के दौरान कल्पसूत्र का पाठ और व्याख्या की जाती है। इस ग्रंथ में तीर्थंकरों के जीवन का वर्णन है। कल्पसूत्र के तीन भाग हैं। पारंपरिक रूप से पर्युषण महापर्व के दौरान कल्पसूत्र का पाठ किया जाता है। इसके पहले भाग में चौबीस तीर्थंकरों के जीवन का वर्णन है। दूसरे भाग में महावीर स्वामी भगवान के जीवन का वर्णन है। तीसरे भाग में साधु-साध्वीजी के लिए नियम और चातुर्मास (वर्षा ऋतु) के दौरान के नियमों का वर्णन है।








