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संयुक्त संचालक हुए नाराज, पूछा-आपकी कोई ट्रेनिंग हुई क्या…..!

नगर निगम में जन्म-मृत्यु-विवाह रजिस्ट्रार पद पर उपयंत्री पदस्थ

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम के जन्म-मृत्यु-विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में शहरवसी जमकर परेशान हो रहे हैं। उन्हे हर काम के लिए यहां पदस्थ कर्मचारी अपने बनाए हुए नियम बता रहे हैं। हालात यह है कि कुछ मामलों में दो-दो पंजीयन हो रहे हैं। इसकी शिकायत संयुक्त संचालक जन्म-मृत्यु-विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंची तो उन्होने जमकर नाराजगी व्यक्त की।

 

जन्म-मृत्यु-विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय के संयुक्त संचालक डॉ.पी.एस.मालवीय के पास शिकायत पहुंची कि नगर निगम में आपके विभाग से पूर्व में दो लोगों का अमला पदस्थ रहता था। उस समय तक जन्म-मृत्यु-विवाह कार्यालय ठीक तरह से काम करता था। लोगों को तकनीकी त्रुटी से लेकर अन्य मामलों तक के लिए भटकना नहीं पड़ता था।

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सब काम वहीं हो जाते थे। अब लोगों को तकनीकी त्रुटी के लिए कोर्ट भेजा जा रहा है। ऐसे में कोर्ट से संशोधन के आदेश लाने के बाद लोगों के एक की जगह दो पंजीयन हो रहे हैं। एक पंजीयन त्रुटी सहित और दूसरा कोर्ट के कागज लाने के बाद त्रुटी सुधार की जगह नया…..? कुछ उदाहरण भी उनके सामने पहुंचे।

डॉ.मालवीय ने सबसे पहले उनके सुयंक्त संचालक विभाग में कार्यरत जन्म-मृत्यु-विवाह पंजीयन के प्रभारी श्री दशोरिया को बुलवाया। उनसे पूछा कि आप नगर निगम कभी गए मानीटरिंग करने। वहां के कार्यालय के आप प्रभारी है। दशोरिया ने कहाकि वे एक बार भी वहां नहीं गए। इस पर उन्होने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि आपको पता है कि वहां इस समय कौन पदस्थ है? क्यों लोग परेशान हो रहे हैं? क्या आपने कभी वहां पदस्थ अधिकारी से चर्चा की? जब दशोरिया ने इंकार किया तो उन्होने कहाकि आप मैरी बात वहां पदस्थ अधिकारी से करवाओ।

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आप जाकर मिलो कमिश्नर से

डॉ.मालवीय ने दशोरिया से कहाकि आप जाकर कमिश्नर से मिलो और जानकारी दो। जिसको एक्ट की जानकारी हो,विभाग का अनुभव हो,उसे चार्ज दिलवाओ। साथ ही हिदायत दी कि आप आगे से सतत जाकर मानीटरिंग करें। इसीप्रकार शिकायतकर्ता का कहाकि आप जाओ और अब समस्या आए तो मुझे दोबारा से बताना। मैं समझूंगा मामले को।

आपने ट्रेनिंग ली क्या, एक्ट की जानकारी है क्या..?

दशोरिया ने जब स्वयं के मोबाइल से नगर निगम के जन्म-मृत्यु-विवाह रजिस्ट्रार प्रभारी की बात करवाई तो डॉ.मालवीय ने पूछा-क्या नाम है आपका। फिर कहा-देखिये चौधरी मेडम आपके यहां से शिकायतें आ रही है। अखबारों में भी छप रहा है। लोग यहां आकर शिकायत कर रहे हैं।

आप बताओ किसी के नाम में त्रुटी सुधार करवाना हो तो क्या करेंगे? दूसरी ओर से कुछ कहा गया तो डॉ.मालवीय बोले: देखिये,पहले आप यह बताओ कि आपकी डेजिगनेशन क्या है? फोन पर सुनकर बोले-आप तो उपयंत्री हैं। इस विभाग में पदस्थ करने के पूर्व आपकी कोई ट्रेनिंग हुई क्या? आपको इस मामले में बने एक्ट की कोई जानकारी है क्या? इसके बाद समझाया कि त्रुटी सुधार के मामले जिस जगह से त्रुटी हुई,वहां से करवाईये। लोगों को कोर्ट मत भेजिये। वे कोर्ट जाकर नाहक परेशान हो रहे हैं और रूपए तथा समय भी खर्च हो रहा है। अन्य मामलों में भी निर्देश दिए।

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