Monday, December 11, 2023
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चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं की बढ़ गईं धार्मिक गतिविधियां

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन देश-दुनिया में उज्जैन की पहचान एक धार्मिक नगरी के रूप में है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर भी यहीं है और यह तंत्र-मंत्र की नगरी भी मानी जाती है। अत: यहां होने वाले प्राय: सभी प्रकार के महत्वपूर्ण शुभ कार्यों में धार्मिक आस्था का आश्रय लिया जाता रहा है। जीवन की अन्य गतिविधियों के साथ यहां की राजनीति भी धर्म आधारित अधिक दिखाई देती है। स्थानीय नेताओं के साथ ही देश के छोटे-बड़े सभी नेता यहां महाकाल बाबा के चरणों के साथ अन्य मंदिरों में धोक देते रहे हैं।

इस वर्ष नवंबर माह में राज्य के विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं की सक्रियता के साथ धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ गई है। विगत सावन व सावन अधिक मास सहित हाल के दिनों में देश प्रदेश के कई बड़े नेता महाकाल मंदिर सहित अन्य मंदिरों की चौखट पर पहुंच कर धर्म के प्रति अपनी आस्था व श्रद्धा का प्रदर्शन कर चुके हैं।

चूंकि चुनाव के लिए आगामी 10 अक्तूबर के पूर्व प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने की प्रबल संभावना है और इसके बाद घोषित प्रत्याशियों का नवरात्रि के गरबा आयोजन सहित अन्य धार्मिक आयोजनों में शामिल होना संभव नहीं होगा।

अत: विगत दिनों चुनाव में सभी पार्टी के टिकिट के दावेदारों की धार्मिक गतिविधियां अत्यधिक बढ़ती देखी गई। विगत दिनों प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता कमलनाथ सहित अन्य नेता बाबा महाकाल के चरणों में शीश नवा चुके हैं। बाबा महाकाल की सभी सवारियों में भी टिकिट के दावेदार नेता शामिल होकर आम जनता के साथ अपनी उपस्थिति का प्रदर्शन कर चुके हैं।

शहर के कुछ नेताओं ने तो सावन व सावन अधिक मास में शहर के सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपने खर्च पर वाहनों से प्रसिद्ध 84 महादेव की पूजा-अर्चना व दर्शन यात्रा करवाई एवं प्रतिदिन उनके नाश्ते व भोजन आदि का प्रबंध भी किया। चातुर्मास होने से कई मंदिरों व अन्य स्थानों पर होने वाली भागवत कथा एवं जैन समाज के पर्युषण पर्व आदि के दौरान भी इन नेताओं की मंदिरों व अन्य आयोजन स्थलों पर सक्रियता देखने को मिली।

विगत दस दिनों में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया गया। शहर के लगभग 200 से अधिक स्थानों पर गणेशजी विराजमान किए गए। गणेशोत्सव के इन दस दिनों में प्राय: सभी गणेश पांडालों में ऐसे नेता लगातार सक्रिय रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे। इन नेताओं ने इन गणेश पंडाल में आरती के साथ अन्य लगभग सभी कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति तो प्रदर्शित की ही, खुले मन से इन्हें आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया।

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