महाकाल मंदिर के नंदी हॉल में सेटिंग से प्रवेश पर ब्रेक लगाएगा आरएफआईडी बैंड, तैयारियां अंतिम दौर में

By AV NEWS

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के पास आया प्रस्ताव, कब से लागू होगा मंथन जारी

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब नंदी हॉल से भगवान महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को आरएफआईडी बैंड से प्रवेश मिलेगा। श्री महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने भस्मारती में प्रयोग सफल रहने के बाद दर्शन व्यवस्था में नई तकनीक का उपयोग करने का निर्णय लिया है। हालांकि, यह प्रस्ताव कब से अमल में लाया जाएगा, इस पर फिलहाल मंथन किया जा रहा है।

दरअसल, श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल के तहत आने वाले श्रद्धालुओं को नंदी हॉल और गर्भगृह के बाहर से दर्शन करवाए जाते हैं। इसके लिए प्रोटोकॉल कार्यालय से कम्प्यूटराइज पर्ची दी जाती है। हालांकि, इस व्यवस्था में कई खामियां भी हैं। इसका फायदा उठाते हुए मंदिर कर्मचारी एवं सुरक्षागार्ड अपने लोगों को बिना अनुमति के ही सेटिंग से दर्शन करवाते हैं।

इसकी शिकायतें भी अधिकारियों तक पहुंची है जिसके बाद ही भस्मारती की तरह ही नंदी हॉल से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की कलाई पर आरएफआईडी बैंड बांधने का प्रस्ताव लाया गया है। इसके लागू होने के बाद सुरक्षागार्ड्स और कर्मचारियों द्वारा सेटिंग से करवाए जाने वाले दर्शन पर रोक लगेगी और मंदिर की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।

भस्मारती से हुई थी शुरुआत

ठगी और अनाधिकृत प्रवेश की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए आरएफआईडी बैंड की शुरुआत १५ नवंबर से भस्मारती के दौरान की गई थी। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने इसका निरीक्षण किया था और इसे पारदर्शी व सुरक्षित बताया था। इसके अलावा इससे प्रवेश संख्या का सही रिकॉर्ड भी रखा जा सकेगा।

अलग-अलग कलर के होंगे बैंड

वर्तमान में प्रतिदिन तड़के होने वाली भस्मारती में लागू रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडी व्यवस्था में दर्शनार्थियों को सफेद बैंड बांधे जा रहे हैं। मंदिर से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नंदी हॉल और गर्भगृह के गलियारे के लिए अलग-अलग कलर के बैंड बनाए जाएंगे जो पीले एवं गुलाबी कलर के हो सकते हैं।

इनका कहना

नंदी हॉल से दर्शन के लिए आरएफआईडी बैंड से प्रवेश देने का प्रस्ताव आया है। यह व्यवस्था कब से लागू होगी, इस पर विचार किया जा रहा है। प्रस्ताव अच्छा है, इससे अनाधिकृत रूप से जो लोग नंदी हॉल में प्रवेश करते थे उस पर रोक लगेगी।-मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासक, श्री महाकालेश्वर मंदिर

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