शिप्रा के पौराणिक स्वरूप को स्थापित करेंगे संत-महंत

त्रिशूल शिवगण वाहिनी की शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा 2 से
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उज्जैन। शिप्रा के पौराणिक स्वरूप को फिर से स्थापित करने के लिए संत-महंतों के नेतृत्व में त्रिशूल शिवगण वाहिनी की शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा 2 नवंबर से शुरू होगी। तीन दिन की यात्रा के दौरान के यात्री करीब 600 किलोमीटर का सफर तय करेंगे। इस दौरान पड़ाव स्थल पर सनातन पंचायत लगाई जाएगी और ग्रामीणों को शिप्रा को सद्नीरा बनाए रखने की समझाइश दी जाएगी।
त्रिशूल शिवगण वाहिनी के संस्थापक आदित्य नागर, अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र चतुर्वेदी और महामंडलेश्वर शैलेषानंद गिरी ने बताया कि शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा में करीब 200 लोग शामिल होंगे। बस और निजी वाहनों से यात्रा रामघाट से 2 नवंबर को सुबह 8 बजे शुरू होगी। नदी के एक किनारे से चलते हुए यात्री शिप्रा के उद्गम स्थल तक जाएंगे। फिर दूसरे किनारे से शिप्रा-चंबल के संगम स्थल पर पहुंचेंगे।
यात्रा में कब क्या
रामघाट से पूजन के बाद यात्रा दोपहर 11.30 बजे बोलासा पहुंचेगी। यहां नदी पूजन और पौधारोपण किया जाएगा।
शिप्राघाट देवास पर दोपहर 12.30 बजे से सनातन पंचायत होगी। सांकेतिक श्रमदान होगा।
दोपहर 3 बजे दखनाखेड़ी में शिप्रा पूजन और पौधारोपण किया जाएगा।
3 नवंबर को शाम 5 बजे शिप्रा उद्गम स्थल मुंडला दोसर में शिप्रा आरती, पूजन, सनातन पंचायत होगी। यही रात्रिविश्राम भी होगी।
3 नवंबर को यात्रा दोपहर 12 बजे इंदौर के सिमरोड पहुंचेगी। यहां सनातन पंचायत, पौधारोपण किया जाएगा।
इसी दिन शाम 5 बजे यात्रा दत्त अखाड़ा घाट पहुंचेगी, यहां सनातन पंचायत होगी और रात्रि विश्राम दादूदयाल आश्रम में होगा।
4 नवंबर को यात्रा आलोटजागीर के पास शिप्रा-गंभीर के संगम स्थल मेलेश्वर महादेव पहुंचेगी। सुबह 10 बजे यहां सनातन पंचायत होगी।
यहां से चलकर यात्रा शाम 5 बजे शिप्रा-चंबल संगम स्थल सिपावरा पहुंचेगी। यहां सनातन पंचायत और रात्रि विश्राम होगा।
5 नवंबर को यात्रा यहां से शुरू होगी और दोपहर 12 बजे महिदपुर के नारायणा धाम पहुंचेगी। यहां भजन-कीर्तन होंगे।
इसी दिन शाम 5 बजे यात्री रामघाट पर पहुंचेंगे और मोक्षदायिनी मांं शिप्रा की आरती करेंगे। इस दौरान एक दीया शिप्रा के नाम अभियान के तहत दीपदान भी किया जाएगा।









