संत पं. कमलकिशोर नागर नहीं लेंगे सम्मान

सेवा का मोल नहीं, इसलिए मुझे नहीं चाहिए पद्मश्री
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
सुधीर नागर. उज्जैन ठेठ मालवी बोली में धर्म के गूढ़ तत्वों को सरलता से बताने के लिए प्रसिद्ध संत कमलकिशोर नगर को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान के लिए कदम आगे बढ़ाया है लेकिन संत नागर ने यह सम्मान न लेने का निर्णय किया है। उन्होंने अपने अनुयायियों से कहा है कि वे सेवा का कोई मोल नहीं चाहते, इसलिए पद्मश्री सम्मान नहीं लेंगे। पद्मश्री सम्मान लौटाने के तो कई मामले देश की सुर्खियों में रह चुके हैं किंतु यह संभवत: पहला ऐसा मामला हो सकता है, जिसमें कोई संत सम्मान ही ग्रहण न करे।

उज्जैन संभाग के शाजापुर जिले के अंतर्गत सेमली आश्रम के संत पंडित कमलकिशोर नागर को हाल ही में केंद्र सरकार ने पद्मश्री सम्मान के लिए नामंकित किया है। वर्ष 2025 के लिए दिए जाने वाले पद्मश्री सम्मान के लिए यह नामांकन किया गया है। पंडित नागर ने विनम्रतापूर्वक सरकार को भी यह संदेश भेज दिया है कि प्रभु की भक्ति और आशीर्वाद ही सबसे बड़ा सम्मान है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार को इसके लिए धन्यवाद देकर सम्मान ग्रहण करने में असमर्थता व्यक्त कर दी है।
केंद्र सरकार आई सूचना
सेमली आश्रम के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने स्वयं संत नागर का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए नामंकित किया है। इस सम्मान के लिए दो प्रक्रिया होती है। एक स्वयं सम्मान प्राप्त करने वाला आवेदन करता है और दूसरे में सरकार की ओर से नाम प्रस्तावित किया जाता है।
इन्होंने सम्मान लौटाया
रेसलर बजरंग पुनिया को 2019 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया था, लेकिन दिसंबर 23 में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर लौटाने की घोषणा की।
स्वतंत्रता कार्यकर्ता और शिक्षाविद् आशा देवी आर्यनायकम ने 1954 में पद्मश्री प्रदान किए जाने के बाद लेने से इनकार कर दिया था।
कवि और उपन्यासकार 1974 के पद्म भूषण सम्मानित खुशवंत सिंह ने भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार का विरोध करने के लिए 1984 में सम्मान लौटा दिया था।
सेवा का मूल्य नहीं लेना:
यह सही है कि सरकार की ओर से गुरुदेव को पद्मश्री सम्मान के लिए नामांकित करने की सूचना मिली थी, किंतु गुरुदेव का मानना है कि सेवा के बदले कोई मूल्य नहीं लेना है। इस कारण केंद्र और राज्य सरकार को धन्यवाद देने के साथ सम्मान ग्रहण न करने का निर्णय किया है।
पंडित प्रभु नागर, कथावचाक और पंडित कमलकिशोर नागर के पुत्र








