हमेशा सुर्खियों में रहा सलमान आखिरकार अब सलाखों में….

पिछले कई वर्षों से पुलिस को धता बताकर ठिकाने बदल रहा था

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डॉन बनने की तमन्ना लिए अपराध की दुनिया में पैर जमाए

उज्जैन। अपराध की गोद में पला बढ़ा साठ हजार का इनामी बदमाश सलमान लाला आखिर कब तक पुलिस से आंख मिचौली करता। पकड़ में आ ही गया। पिछले कई सालों से वह पुलिस को धता बता कर अपने ठिकाने बदल रहा था। डॉन बनने की तमन्ना लिए वह अपराध की दुनिया में अपने पैर जमा रहा था। इधर पुलिस भी उसके इरादों को नाकाम करने की कसम खा चुकी थी।

एक महीने की मेहनत के बाद पुलिस को सफलता मिल गई। पाठकों को बता दें कि यह सलमान, शेरू लाला का छोटा बेटा है। शेरू को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। यह बात 1997 की है। तब सलमान छोटा था। तभी से उसने तय कर लिया था कि वह अपराध की दुनिया का सिरमौर बनेगा।

पुलिस रिकॉर्ड में करीब दस मामले दर्ज

सलमान पर पुलिस रिकॉर्ड में करीब दस मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या के प्रयास, लूट, फिरौती, चोरी और आर्म्स एक्ट महत्वपूर्ण हैं। एक विवादित प्रॉपर्टी को लेकर उसका प्रेम राजावत नामक व्यापारी से विवाद चल रहा था। बात इतनी बढ़ी कि सलमान ने अपने साथी सद्दाम, युनूस, गुलफाम और आमीर को तैयार किया और कहा कि प्रेम को निपटाना है।

इन सभी ने मिल कर प्रेम को घेर लिया और चाकू से करीब डेढ़ दर्जन वार किए। इतना ही नहीं, सलमान का एक ऑडियो भी वायरल हुआ जिसमें वह प्रेम को जान से मारने की धमकी देता हुआ सुनाई दे रहा है। इस मामले के बाद पुलिस उसकी तलाश में लगी रही और करीब 11 महीने बाद वह पुलिस की पकड़ में आ गया।

बार बालाओं के साथ डांस पार्टी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक सलमान ने 31 दिसंबर 2022 को एक सरकारी स्कूल में जश्न-ए-नया साल नाम से एक पार्टी अरेंज की। इसमें उसने अपने खास साथियों को बुलाया और जम कर जश्न मना।

इसमें बार बालाओं को भी बुलाया गया। यह वीडियो किसी तरह बाहर आया और बवाल मच गया। हिंदू संगठनों ने इस पार्टी का विरोध किया। पुलिस भी हरकत में आई और उसकी गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाया। 13 जनवरी 2023 को पुलिस ने सलमान के खिलाफ केस दर्ज किया। केस दर्ज होते ही नागदा पुलिस उसकी तलाश में जुट गई। तब पुलिस अधीक्षक ने उस पर 20 हजार का इनाम घोषित किया।

आरक्षक पर पिस्टल तान दी थी

अपराध की दुनिया में सलमान के पैर जमते गए। उसने अंडर वर्ल्ड के कई अपराधियों से संबंध बना लिए। 9 मई 2020 की बात है। नागदा पुलिस उसकी तलाश में लगी हुई थी। जब उसकी सूचना मिली तब नागदा के बालाराम कुटिया क्षेत्र में राजस्थान और नागदा पुलिस ने उसे घेर लिया। चारों तरफ से अपने को घिरा पाकर सलमान ने एक आरक्षक को दबोच लिया और उसकी कनपटी पर पिस्तौल तान दी।

पुलिस को कामयाबी मिली। उसके साथी भी पकड़ में आए और 820 जिंदा कारतूस सहित पांच पिस्टल जब्त हुई। इसके बाद पुलिस ने जिला प्रशासन के सहयोग से उसके राजीव कॉलोनी स्थित शानदार मकान पर बुल्डोजर चलाया। उस समय एसपी ने एहतियात के तौर पर 200 पुलिस कर्मियों सहित करीब दस थाना प्रभारियों को तैनात किया था।

वह टूट चुका था

पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया के कि सलमान पुलिस से परेशान होकर लगभग टूट चुका था। नागदा से करीब २० किलोमीटर दूर उसके बारे में सूचना मिली वह भागता रहा। इसी भागमभागी में वह गिरा और कई जगह से टूट-फूट गया। उसे रिमांड पर लेंगे।
गिरफ्तारी की एक कहानी यह भी

जब कोई बड़ा अपराधी गिरफ्तार होता है। ऐसे में यदि पड़ोसी राज्य की पुलिस भी हस्तक्षेप रखती है तो कहानी थोड़ी बदल जाती है। सलमान के मामले में भी ऐसा ही है। सलमान का सिर्फ मप्र ही नहीं राजस्थान के कुछ इलाकों में भी आतंक था। वहां की पुलिस भी उसके पीछे लगी हुई थी।

वह खास अपराधी नागदा क्षेत्र का था। बताते हैं कि राजस्थान क्राइम ब्रांच ने उसे दबोच लिया और नागदा पुलिस को सूचना दी। नागदा सीएसपी बृजेश श्रीवास्तव के अनुसार एएसपी नीतेश भार्गव की टीम सलमान को घेरने में करीब एक माह से लगी हुई थी। सलमान की गिरफ्तारी के बारे में उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अफसर ही बता सकेंगे। यह भी सच है कि उज्जैन पुलिस सलमान को दबोचने के लिए पिछले कई दिनों से गोपनीय अभियान चलाए हुए थी। पुलिस को सफलता मिली।

पिता का एनकाउंटर गिरीश की टीम ने किया था

नागदा-खाचरोद से शुरू हुआ शेरू लाला और अमजद लाला का आतंक चारों तरफ फैल चुका था। शेरू चाचा था और अमजद भतीजा। अमजद अपने चाचा का परम सहयोगी और विश्वस्त था। जावरा के कांग्रेस पार्षद चंदू कबाड़ी की हत्या कर दी गई। खूब बवाल मचा। दोनों पर 25 हजार का इनाम घोषित हो चुका था।

1997 में दिग्विजय सिंह की सरकार थी। सरकार पर दबाव बढ़ा कि इन दोनों की वजह से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। तब तत्कालीन डीआईजी वीरेंद्र मोहन कंवर को पत्र लिखा गया। कंवर ने टीम बनाई और माधवनगर थाना प्रभारी गिरीश सुबेदार को एक टीम का सूत्रधार बनाया। दूसरी टीम एएसपी विनोद चौबे के नेतृत्व मेें बनाई गई। सुबेदार की टीम मैदान रहेगी और चौबे की टीम सूत्र बटोरेगी मुखबिर तैयार करेगी। यह तय हुआ। दोनों टीमों ने ऑपरेशन शेरू-अमजद शुरू किया।

सुबेदार ने अपने साथी तैयार किए

टीआई गिरीश सुबेदार ने अपनी टीम में सब-इंस्पेक्टर यूपीएस चौहान, राजकुमार सिंह, प्रधान आरक्षक भारत सिंह, कालू सिंह, हनुमान और तीन जांबाज सिपाहियों को तैयार किया। दो दिन अभ्यास हुआ। इसके बाद टीम अपने मिशन पर निकल पड़ी। सुबेदार की टीम को कमांडर गाड़ी के अलावा एक निजी कार दी गई।

पुलिस को धता बताते रहे

शेरू और अमजद के सूत्र भी तगड़े थे। उन्हे पुलिस की तैयारियों के बारे में पता चल चुका था। वे पकड़ में नहीं आ रहे थे। शेरू को फिल्म देखने का बड़ा शौक था। खबर मिली कि वह प्रतापगढ़ के टॉकीज में फिल्म देखने आएगा। सुबेदार ने अपने साथियों को टॉकीज में गेट कीपर बना कर तैनात किया। शेरू को पता चल गया वह टॉकीज के पिछले दरवाजे से फरार हो गया।

जवानों ने पीथमपुर चौपाटी पर केले बेचे

सुबेदार बताते हैं कि शेरू पीथमपुर चौपाटी पर स्थित एसटीडी पीसीओ पर फोन करने रोज आता है। उसकी धरपकड़ के लिए तीन पुलिस कर्मियों को केले वाला बना कर खड़ा किया। एक से मूंगफली बिकवाई। शेरू यहां भी धता बता गया।

एबी रोड पर आमने सामने हुई भिडं़त

सुबेदार ने बताया कि हमारी टीम शेरू का पीछा करती हुई एबी रोड से किशनगंज की तरफ बढ़ी। सामने मोटरसाइकिल पर शेरू आता हुआ दिखा। उसे घेर लिया गया। उसने गोली चलाई जो हमारे साथी यूपीएस चौहान के कंधे में लगी जो आज भी नहीं निकली है। भारत सिंह को बंधक बना लिया। राजकुमार सिंह ने शेरू को बातों में उलझा लिया। हम कमांडर की आड़ से आगे बढ़े और सीधा निशाना शेरू पर वह नीचे गिरा। इतने में पूरी टीम हावी हो गई। यह एनकाउंटर लोगों के सामने हुआ। हम सिविल डे्रस में थे। भीड़ हमें अपराधी समझ रही थी, इसलिए इंदौर पुलिस भी आ गई।

अमजद को इंदौर पुलिस ने ढेर किया

शेरू मारा जा चुका था। अब बारी इंदौर पुलिस की थी। वहां की पुलिस ने योजना बनाई और अमजद को घेर लिया। उज्जैन पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और अमजद भी एनकांटर में ढेर हो गया।

सभी को पुरस्कार मिला, सुबेदार को नहीं

शेरू के एनकाउंटर के बाद यूपीएस चौहान और राजकुमार सिंह उपनिरीक्षक से निरीक्षक बन गए। टीम के सभी साथियों को प्रमोशन मिला। गिरीश सुबेदार को सीएसपी बनाना था। फाइल चली, लेकिन कहीं अटक गई। राष्ष्ट्रपति पदक के लिए आवेदन भेजा। भेजने में देर हो गई। बाद में सुबेदार इंदौर डीएसपी रह कर रिटायर हो गए।

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