शिप्रा के दोनों ओर घाट बनाने के लिए सात कंपनियां तैयार

टेंडर लगाने में हुई देरी की प्रशासन कर रहा जांच

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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। शिप्रा नदी के दोनों ओर 29 किमी लंबे घाट बनाने के लिए देश की सात कंस्ट्रक्शन कम्पनियां तैयार हैं। किसी एक कंपनी का चयन अभी जल संसाधन विभाग को करना है। घाट बनाने का काम बारिश से पहले शुरू करने पर विभाग पूरी ताकत लगा रहा है। दरअसल, टेंडर लगाने में हुई देरी को लेकर प्रशासनिक स्तर पर जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट के बाद स्थिति साफ होगी। सिंहस्थ 2028 से पहले त्रिवेणी से उन्हेल बायपास तक शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर 14.50 किलोमीटर के लंबे बायपास बनाने की योजना सरकार ने बनाई है।

इस तरह कुल 29 किलोमीटर लंबे घाट बनाए जाएंगे। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत नमामि शिप्रे विभाग के तहत घाट निर्माण का टेंडर निकाला गया था। विभाग के अधिकारियों के अनुसार टेक्निकल बीड के तहत सात कंपनियों के टेंडर खुले हैं। इनमें दिलीप बिल्डकॉन, जगदीश गुप्ता, एलसीसी प्रोजेक्ट्स लि. मांटेना इन्फ्रासोल प्रालि, नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लि. ओम इंफ्रा लि. और फलौदी कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि के टेंडर शामिल हैं। फाइनेंशियल बीड खुलने के बाद अगले हफ्ते तस्वीर साफ होने की संभावना है।

बेसाल्ट और सेंड स्टोन के चक्कर में हुई लेटलतीफी…!

घाट निर्माण की कवायद लंबे स्तर से चल रही है लेकिन गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद भी अब तक इस काम का ठेका फाइनल नहीं हो सका है। टेंडर खुलने के बाद भी वर्क ऑर्डर जारी होने तक की प्रक्रिया में समय लग सकता है। जून में बारिश का मौसम शुरू होने के बाद काम करने में दिक्कतें आ सकती हैं। नदी में बाढ़ आने की स्थिति में नए घाट का निर्माण भी प्रभावित होने की आशंका है। इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की नाराजगी के बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन भी टेंडर लगाने में हुई देरी की जांच के निर्देश दे चुके हैं। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह मामले की जांच कर रहे हैं। राज्य स्तर पर टेंडर की प्रक्रिया की गई थी, इस कारण प्रशासन जानकारियां जुटा रहा है। सूत्रों के अनुसार बेसाल्ट या सेंड स्टोन से घाट निर्माण कराने के चक्कर में यह देरी होने की खबरें सामने आ रही हैं। कुछ अधिकारी बेसाल्ट पत्थर से इसे बनाने पर जोर दे रहे थे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंहंके अनुसार शिप्रा नदी के घाट निर्माण के टेंडर लगाने में हुई देरी की जांच की जा रही है। राज्य स्तर पर प्रक्रिया हुई थी। इस कारण जानकारियां मंगाई जा रही है।

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