सरकार इनको भी देखिए… रंग उखडऩे लगा है मूर्तियों का
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन महाकाल लोक में लगी शिव मूर्ति भी लापरवाही की कहानी बता रही तो त्रिपुरासुर संहार दृश्य की प्रतिमा के रथ में दरार बता रही कि खतरा अभी टला नहीं है। समुद्र मंथन का दृश्य भी तेज हवा से हिलता है। इस कारण केवल सात ऋषियों की मूर्तियां हटाने से ही काम नहीं चलेगा, इन प्रतिमाओं पर भी ध्यान देना होगा।
महाकाल लोक के कमल तालाब में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित है। यह भी फाइबर की है। प्रतिमा के बाए पैर में घुटने के नीचे का हिस्से का पेंट उखड़ गया है। चेहरे की सुंदरता भी प्रभावित हो रही है। त्रिपुरसंहार दृश्य के रथ में भी दरारें बता रही हैं कि फाइबर की क्वालिटी अच्छी नहीं है। इसको लेकर भी जनप्रतिनिधियों ने निरीक्षण के समय बताया था। रथ में दरार आने की जांच कर इसकी मजबूती भी देखनी चाहिए। प्रतिदिन लोक आने वाले दर्शनार्थी बताते हैं कि समुद्रमंथन का दृश्य भी तेज हवा में हिलता है।
मूर्तियों की कीमत स्पष्ट करें अफसर
फाइबर की इन मूर्तियों की कीमत भी सरकार को अधिकारियों से पूछना चाहिए, क्योंकि इससे साफ हो सकता है कि इस कीमत में मार्वल या लाल पत्थर की मूर्तियां बन सकती थी या नहीं।
ऐसे भी बन सकती बिना खर्च मूर्तियां…
कालिदास अकादमी में मूर्ति शिल्प की स्पर्धा आयोजित की गई थी। इसमें देशभर के कलाकारों ने भाग लिया था और मूर्तियां बनाई थीं। ये मूर्तियां आज भी अकादमी परिसर में स्थापित हैं। इसी तरह महाकाल मंदिर प्रशासन देश के कलाकारों की प्रतिस्पर्धा आयोजित कर लाल पत्थर या मार्वल की मूर्तियां बनवा सकता है। इसमें कलाकारों को अलग से मानदेय नहीं देना पड़ेगा और लोक में ही तैयार हो सकती हैं। इस मामले में पहले ही अकादमी प्रशासन से संपर्क किया जाता तो पैसा भी बचता और सरकार की प्रतिष्ठा पर आंच भी नहीं आती।