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शिवांगी परिसर योजना : गृह निर्माण मंडल को स्टे मिला, हितग्राहियों को बंधी आशा

इंदौर रोड पर आकार ले रही योजना में अब तक 10 करोड़ रूपए खर्च हो चुके

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन म.प्र. गृह निर्माण मण्डल द्वारा इंदौर रोड़ के गोयलाखुर्द में करोड़ों रूपए लागत से तैयार की गई शिवांगी परिसर योजना पर मण्डल को अगली सुनवाई तक स्टे मिल गया है। उपायुक्त के अनुसार माननीय न्यायालय के निर्देश के बाद उक्त भूमि से कब्जा छोड़ दिया था। करीब 10 करोड़ रूपए खर्च हो गए थे। फिलहाल अगली सुनवाई तक स्टे मिल गया है। आर्डर की प्रति भी प्राप्त हो चुकी है। मण्डल पुन: अपना पक्ष रखेगा। तब तक हितग्राही चाहें तो अपनी राशि लेने के लिए रूक सकते हैं।

 

ज्ञात रहे पूर्व में उपायुक्त श्री दोहरे ने कहा था कि हितग्राही जिन्होंने अपने मकान बुक करवाए थे, वे गृह निर्माण मण्डल के कार्यालय आकर अपनी मूल राशि और उसका 6 प्रतिशत ब्याज वापस ले जाए। संभावना व्यक्त की थी कि अब वहां निजी कालोनी आकार लेगी। वहीं स्टे आने के बाद कहा है कि हितग्राही चाहें तो रूक सकते हैं। इसमें एक दो वर्ष भी लग जाएं, यदि मण्डल के पास भूमि रहती है तो ठीक, वरना दो वर्ष बाद भी मण्डल 6 प्रतिशत ब्याज के साथ उनकी राशि लौटा देगा।

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41 करोड़ रूपए की प्रशासकीय अनुमति

गौरतलब है कि म.प्र. गृह निर्माण मण्डल, उज्जैन द्वारा गोयलाखुर्द में 2.8 हैक्टेयर भूमि पर अपनी आवासीय कालोनी एवं तीन व्यावसायिक टॉवर का निर्माण शिवांगी परिसर के नाम से किया जा रहा था। इस योजना के तहत एलआयजी, एचआयजी, एमआयजी के अलावा व्यावसायिक दुकानें एवं फ्लेट बनाए जाना थे। कुल सात श्रेणी के 138 मकानों की कीमत मण्डल द्वारा 17 से 60 लाख रूपए तक रखी गई थी। निर्माण की करीब 41 करोड़ रूपए की प्रशासकीय अनुमति शासन से मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। टीएनसीपी,नगर निगम से अनुमति मिल गई थी। स्वीकृत ले आउट अनुसार काम चल रहा था।

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दुकानों के लिए 55 हजार वर्गफीट जमीन आरक्षित

इस जमीन का 4.19 हैक्टेयर हिस्से का आवंटन करीब 17 वर्ष पूर्व राजस्व विभाग ने आवंटन मण्डल के पक्ष में किया था। तत्कालीन समय कम मुआवजा स्वीकृत होने को लेकर जमीन मालिक हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे थे। मण्डल के उपायुक्त व्हाय.के. दोहरे के अनुसार उस समय न्यायालय ने मण्डल की जमीन करार दी थी। उसके बाद मण्डल ने 0.61 हैक्टेयर भूमि पर मकान बनाकर हितग्राहियों को दे दिए थे।

शेष बची 3.58 हैक्टेयर भूमि पर योजना अब धरातल पर आई थी। योजना के तहत पहले चरण में मकान और दूसरे चरण में दुकानों का निर्माण प्रस्तावित था। दुकानों के लिए 55 हजार वर्गफिट जमीन आरक्षित की गई थी। श्री दोहरे के अनुसार करीब 10 करोड़ रूपए तो निर्माण कार्य में खर्च कर चुके थे। अभी भी अन्य ठेकेदारों, कन्सलटेंट्स के रूपए भुगतान हेतु बचे हैं। इन्ही आधारों तथा अन्य बातों के साथ पुन: माननीय न्यायालय की शरण में पहुंचे थे। अगली सुनवाई तक फिलहाल स्टे मिल गया है।

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