नगर निगम संविदा कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को झटका, पॉश समिति करेगी जांच

निगम प्रशासन को चार सप्ताह में समिति गठित करने का आदेश
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उज्जैन। नगर निगम में संविदा पर कार्यरत कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को हाईकोर्ट से झटका लगा है। उनके खिलाफ हुई यौन उत्पीडऩ मामले की जांच कोर्ट ने पॉश समिति से कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश पर समिति गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दरअसल निगम में पदस्थ महिला उपयंत्री ने पीयूष भार्गव के खिलाफ यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराई थी। तब तत्कालीन निगमायुक्त आशीष पाठक ने पॉश समिति के बजाय आंतरिक समिति गठित कर मामले की जांच करवाई थी।
तत्कालीन उपायुक्त कृतिका भीमावद की अध्यक्षता वाली समिति ने मामले को यौन उत्पीडऩ ना पाते हुए मानसिक प्रताडऩा माना था और ऐसे में भार्गव पर ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी। इतना ही नहीं भार्गव की संविदा नियुक्ति एमआईसी ने बढ़ा दी थी और उन्हें नगरनिगम के सिंहस्थ संबंधी कामों के पर्यवेक्षण का काम भी सौंप दिया था। महिला उपयंत्री कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट गई थीं और वहां से मामले की जांच पॉश समिति से कराने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने चार सप्ताह में समिति गठित करने और जांच करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगरनिगम प्रशासन ने भी समिति गठन की कवायद तेज कर दी है। निगमायुक्त अभिलाष मिश्रा ने बताया कि एक सप्ताह में समिति गठित कर दी जाएगी।
जनवरी में पूरी होगी संविदा नियुक्ति: पीयूष भार्गव संविदा नियुक्ति पर है। एमआईसी ने पिछले साल ही उनकी नियुक्ति को एक साल के लिए बढ़ाया था। जनवरी में यह अवधि पूर्ण होने वाली है। उनका कार्यकाल आगे बढ़ाने में पॉश समिति की रिपोर्ट अहम होगी।









