Advertisement

एक दिन का एक्शन, फिर वही हालात

हरसिद्धि माता मंदिर के बाहर दुकानदारों ने फिर किया पोर्च पर कब्जा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

नवरात्रि के पहले दिन पुलिस ने हटवाया था अतिक्रमण लेकिन फिर फुस्स हो गई मुहिम

 

चारधाम के बाहर भी सड़कों पर लगने लगे ठेले-गुमटी

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात, यह मुहावरा आपने जरूर सुना होगा। आज कल पुलिस और नगर निगम इसी तर्ज पर काम कर रही है। शारदीय नवरात्र के पहले दिन जिस ताबड़तोड़ एक्शन से पुलिस ने वाहवाही लूटी, आज वहां के हालात फिर पुराने ढर्रे पर पहुंच गए हैं जो कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं। दिखावे की इस कार्रवाई के बाद एक बार फिर सड़कें अतिक्रमण की चपेट में हैं और श्रद्धालु उन्हीं मुसीबतों से फिर घिर गए हैं जिनका सामना वह नवरात्रि से पहले तक किया करते थे।

दरअसल, हाल ही में महाकाल मंदिर क्षेत्र में दीवार गिरने का हादसा हुआ था जिसमें दो लोगों ने जान गंवा दी थी। देशभर में किरकिरी होने के बाद प्रशासन और पुलिस नींद से जागे और नवरात्रि के पहले दिन चारधाम और हरसिद्धि मंदिर के सामने दुकानदारों द्वारा किए अतिक्रमण के खिलाफ एक्शन लिया।

Advertisement

सिंघम की तरह पुलिस सड़कों पर उतर आई। देखते ही देखते दुकानें, गुमटियां और हरसिद्धि मंदिर के बाद लगी दुकानों के आगे पसरा अतिक्रमण हटने लगा और जो अड़ गया उसे पुलिस ने ‘सख्ती’ से समझा दिया। अमूमन संकरी हो चुकी सड़कें चौड़ी-चौड़ी दिखने लगी। कार्रवाई की शहरवासियों के साथ बाहर से आए श्रद्धालुओं ने तारीफ की, पुलिस मीडिया में भी छा गई लेकिन अब स्थिति पुराने ढर्रे पर पहुंच चुकी है। वहां जाने पर ऐसा लगता ही नहीं कि यहां कभी कोई कार्रवाई हुई थी।

सड़कों पर कब्जा या कब्जे में सड़कें

हरसिद्धि मंदिर के सामने से चारधाम मंदिर तक सड़कों पर पूजन सामग्री और अन्य वस्तुएं बेचने वालों के साथ ई-रिक्शा वालों का कब्जा है जिससे श्रद्धालुओं का सड़कों से निकलना बेहद मुश्किल होता है। हरसिद्धि मंदिर के बाहर दुकानदारों ने एक बार फिर पोर्च पर सामान रख कब्जा कर लिया है। इसमें भिखारी भी पीछे नहीं हैं। यह श्रद्धालुओं को घेरकर परेशान करते हैं। कई बार तो झगड़ भी लेते हैं।

एक ही दिन कार्रवाई क्यों?

हादसे के बाद पुलिस का एक्शन तो सही था लेकिन सवाल यह उठता है कि यह कार्रवाई सिर्फ एक ही दिन क्यों? अन्य दिनों में क्यों मुहिम ठंडे बस्ते में चली जाती है और फिर कोई हादसा होने पर जिम्मेदार जागते हैं।

Related Articles