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श्यामू को आराम और इलाज की जरूरत, रहेगा उज्जैन में ही

सवारी में मनमहेश के लिए नया हाथी लाना होगा

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अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। बरसों से भगवान महाकाल की सवारी में अपनी सेवाएं दे रहे श्यामू हाथी को अब आराम और इलाज की जरूरत है। ज्यादा काम लेना या घुमाना-फिराना उसकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट का मानना है। हालांकि श्यामू के महावत इसे साजिश बताते हैं। श्यामू हाथी पिछले करीब १० सालों से भगवान महाकाल की सवारी में शामिल हो रहा है। भगवान मनमहेश इस पर विराजते हैं। पिछले कुछ दिनों से उसकी सेहत को लेकर वन विभाग और वाइल्ड लाइफ टीम लगातार नजर रखे हुए हैं। श्यामू को नी नॉक की समस्या हुई है। जल्दी ही आगरा से आने वाली टीम श्यामू का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देगी जिससे तय होगा कि श्यामू सवारी में शामिल होगा या नहीं।

घुटने टकरा गए तो वह अंतिम क्षण होगा

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अब वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. मुकेश जैन का मानना है कि श्यामू को नी नॉक की तकलीफ है। इस कारण उससे लंबे समय तक काम नहीं लिया जा सकता। पिछले एक साल से उनका इलाज चल रहा है। नी नॉक में पिछले पैर टेड़े होना शुरू होते हैं। जब भी दोनों घुटने टकरा गए तो फ्रैक्चर होगा और वो हाथी के जीवन के दौर की शुरुआत मानी जाती है।

यहीं रखकर करेंगे श्यामू की देखभाल

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वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. जैन का कहना है कि आगरा के हाथी अस्पताल के एक्सपर्ट जल्दी आएंगे और श्यामू की हेल्थ ऑडिट करेंगे। ऐसे हालात में श्यामू को इलाज के लिए उज्जैन से बाहर ले जाने की जरूरत नहीं है। इलाज के दौरान उसे तकरीबन ३-४ एकड़ खुले इलाके में बिना जंजीर बांधे रखना होगा। इस दौरान उस पर न तो वजन रखा जाएगा और न ही उसे लंबा घुमाया जाएगा। इलाज के नाम पर उज्जैन से बाहर ले जाने की जो बात चल रही है वो सिर्फ अफवाह है।

नी नॉक बीमारी होने के कारण

हाथी के पैरों में जंजीर बांधकर रखना।

रहने की जगह कम।

 पर्याप्त खुराक नहीं मिलना।

ओवर स्ट्रेस या वर्क। ८-१० घंटे से ज्यादा घुमाना।

उज्जैन में और हैं तीन हाथी

शहर में श्यामू के अलावा तीन हाथी और हैं। जो खाक चौक पर अखाड़ों के पास हैं। गौरतलब है कि २००४ से हाथी पालना, खरीदना या बेचना गैर कानूनी है। हाथी के जरिए भीख मंगवाना या मेहनती काम करवाना अपराध है। सिर्फ धार्मिक कारणों से आश्रम, मठ-मंदिर या ट्रस्ट को हाथी रखने की सुविधा दी गई। यहां रहने वाली हाथी वन विभाग की संपत्ति होते हैं और विभाग हाथियों में लगी माइक्रो चिप के जरिए इन पर नजर रखता है और समय-समय पर इनका मेडिकल चैकअप भी करता है। हाथियों को कहां और किस के पास रखना है इसका अंतिम निर्णय भोपाल स्थित चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) का होता है, जो कि वन विभाग का ही हिस्सा है।

पिछली सवारी में भी रखा था विशेष ध्यान

वाइल्ड लाइफ की टीम ने पिछली सावन सवारी में भी श्यामू का विशेष ध्यान रखा था। डॉ. जैन के मुताबिक उन्होंने श्याम पर रखी जाने वाली करीब १०० किलो की पालकी का वजन कराकर ४० किलो करवाया, आदमियों की संख्या भी घटाकर दो करवायी। बीच-बीच में तीन-चार उसे पानी पिलाते थे। श्याम की देखभाल के लिए वाइल्ड लाइफ की करीब १० लोगों की टीम भी साथ रहती थी।

ये षड्यंत्र है, श्यामू को ले जाना चाहते हैं महावत सरवन गिरी

हाथी के महावत सरवन गिरि ने आरोप लगाया है कि पिछले दिनों गुजरात से आई एनजीओ सदस्य शगुन मेहरा उर्फ अग्रवाल ने वन तारा () चिडिय़ाघर के लिए हाथी मांगा। बोली हम वहां हाथी की अच्छे से केयर करते हैं। हमने इनकार किया तो अगले दिन से वाइल्ड लाइफ की कार्रवाई शुरू हो गई और श्यामू को बीमार बता दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग ने उन पर कछुए रखने का भी इल्जाम लगाया और तलाशी ली। जब कुछ नहीं मिला तो चले गए। इसके दो दिन बाद इंदौर चिडिय़ाघर से उत्तम यादव आए और हाथी को जू ले जाने की बात कही। सरवन गिरि ने बताया कि श्यामू पिछले दोनों पैर बचपन से ही थोड़े टेड़े हैं। यह कोई बीमारी नहीं है, शारीरिक बनावट ही ऐसी है।

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