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100 से अधिक भस्मार्ती दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल गायब, हंगामा मचा

जूता स्टैंड कर्मचारी ने गलत जगह रखवा दिए, वहां से कचरा गाड़ी वाले भर ले गए

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उज्जैन। शुक्रवार सुबह महाकाल मंदिर में 100 से अधिक भस्मार्ती दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल गायब होने से हंगामा हो गया। दर्शनार्थियों ने मामले की शिकायत मंदिर समिति और महाकाल थाने को भी की है।

शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे के बाद की यह घटना है। मंदिर में रोजमर्रा की तरह दर्शनार्थी भस्मारती दर्शन के लिए निर्धारित समय पर अंदर गए थे। इनमें से करीब 100 से अधिक दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल गायब हो गए। इनमें दक्षिण भारत से आए करीब 80 दर्शनार्थी दल के जूते-चप्पल भी थे। भस्मारती में जाते वक्त इन लोगों के जूता-चप्पल मंदिर समिति कार्यालय के सामने स्थित जूता स्टैंड संचालक ने स्टैंड के बाहर साइड में उतरवा लिए थे। सुबह भस्मार्ती के बाद जब दर्शनार्थी लौटे तो सभी के जूते-चप्पल वहां से गायब थे।

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हंगामा हुआ तो जिम्मेदार सकते में: जूते-चप्पल गायब देख दर्शनार्थियों का गुस्सा भडक़ गया। उन्होंने पहले तो जूता-चप्पल स्टैंड कर्मचारी की लू उतारी और बाद में मंदिर समिति कार्यालय जाकर शिकायत की। मंदिर समिति कार्यालय से संतोषप्रद जबाव नहीं मिलने पर दर्शनार्थियों ने महाकाल थाने जाकर शिकायती आवेदन भी दिया। बाद में मंदिर समिति कार्यालय पर मौजूद कर्मचारियों ने हाथ जोडक़र जैसे-तैसे दर्शनार्थियों को समझाया और विदा किया।

सफाई गाड़ी भर ले गई थी जूते-चप्पल
सूत्रों के मुताबिक इन दर्शनार्थियों से राजा नामक स्टैंड कर्मचारी ने जिस जगह जूते-चप्पल उतराए थे, वो जगह स्टैंड के साइड में थी। भीड़ अधिक होने के कारण राजा ने सोचा दर्शनार्थियों के जाने के बाद जूते-चप्पल वो स्टैंड के अंदर कर लेगा। लेकिन वो भूल गया और दूसरे काम से कुछ देर के लिए स्टैंड छोडक़र चला गया।

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सफाई टीम को मंदिर समिति से निर्देश है कि परिसर में यहां-वहां पड़े रहने वाले जूते-चप्पल को ले जाए। इसी दौरान सुबह करीब 4 बजे सफाई गाड़ी आई और सभी जूते-चप्पल कचरे के साथ भरकर ले गई और दर्शनार्थियों के आने के पहले कचरा संग्रहण स्थल पर गाड़ी खाली भी कर आई। जब हंगामा हुआ मंदिर कर्मचारी अपनी भूल सुधारने की स्थिति में भी नहीं थे। क्योंकि कचरा संग्रहण घर मेें जूते-चप्पल तलाशना आसान नहीं था। ऐसे में हाथ जोडक़र माफी मांगने के अलावा कोई चारा नहीं था। इनमें से कई दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल काफी कीमती करीब 4-5 हजार रुपए के थे।

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