उज्जैन आरटीओ की सुस्ती, इंदौर में धड़ाधड़ चैकिंग

स्कूली वाहनों पर लगाम नहीं, तंग गलियों में भी तेज गति से दौड़ रहे हैं वाहन
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। आरटीओ की लापरवाही लोगों के लिए भारी पड़ रही है। चैकिंग नहीं होने से स्कूली वाहन चालक मजे में हैं। इस मामले में इंदौर आरटीओ ने वहां के अभिभावकों को राहत दी है। लगातार कार्रवाई हो रही है। यहां आलम यह है कि आरटीओ का दस्ता कहीं नजर ही नहीं आता । आरटीओ इंदौर में भी है और उज्जैन में भी, फिर उज्जैन में सुस्ती क्यों?

सर्वविदित है कि उज्जैन के आरटीओ का दस्ता किसी हादसे के बाद ही जागृत होता है। योजना बना कर चेकिंग नहीं की जाती। यहां हजारों बच्चे हैं जो प्रतिदिन वाहनों से स्कूल पहुंचते हैं। समय पर स्कूल पहुंचने के लिए वाहन चालक अपनी गति पर नियंत्रण नहीं रखते। तंग गलियों में भी बसें दौड़ती रहती हैं। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर आरटीओ ने शनिवार को विशेष चेकिंग अभियान चलाया। इस अभियान में दस्ते को आशातीत सफलता मिली।
एक वैन में काली फिल्म लगी थी और १६ बच्चे बैठाए गए थे। वाहन की गति स्पीड गवर्नर सहित दस्तावेज की जांच की गई। वाहनों में बैठने वाले बच्चों को सुरक्षा की दृष्टि से जागरुक किया गया। दस्ते ने वैन में सीएनजी किट की स्थिति भी देखी। अलग-अलग-अलग स्कूलों के करीब ४५ वाहनों की जांच की गई। पांच वाहन बिना दस्तावेज के पाए गए। अन्य वाहनों पर भी कार्रवाई की गई। इन वाहनों से ५५ हजार रुपए जुर्माना वसूला गया। आरटीओ द्वारा की गई इस कार्रवाई से वाहन चालकों में हडक़ंप मचा रहा।
अधिकतम स्पीड 40 किमी ही हो
नियम यह कहता है कि स्कूल बसों पर स्कूूल का नाम और टेलीफोन नंबर भी होना चाहिए। दरवाजे पर लॉक सिस्टम हो ताकि बच्चे नहीं खोल सकें। बस में एक अटेंडर का होना जरूरी है। बस की स्पीड अधिकतम ४० किलो मीटर प्रति घंटा ही हो। वाहन चालक यूनिफार्म में हो। उसके पास कम से कम चार साल का हैवी मोटर व्हीकल ा लाइसेंस होना चाहिए। यदि बस में छात्राएं हैं तो महिला शिक्षिका का होना जरूरी है। बस में जो बच्चे बैठते हैं उनका नाम, पिता का नाम, पता, ब्लड गु्रप, बस स्टॉप जहां से बच्चा बैठेगा और उतरेगा यह जानकारी वाहन चालक के पास होना जरूरी है।
बसों में जीपीएस जरूरी है
परिवहन विभाग द्वारा स्केूली वाहनों के लिए गाइड लाइन जारी की गई है। इसके तहत वाहनों में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस, मेडिकल किट व दो दरवाजों के साथ अग्निशमन यंत्र वह फस्र्ट एड होना चाहिए। बच्चों को उतारते और बैठाते समय कंडक्टर का होना जरूरी है। उज्जैन में इसका कितना पालन हो रहा है यह अभिभावक अच्छी तरह जानते हैं। बच्चे अपने हिसाब से चढ़ते और उतरते हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
अक्षर विश्व का अभिभावकों से अनुरोध
आपके बच्चे यदि स्कूली वाहनों से जा रहे हैं तो आपको भी नियमों की जानकारी होना जरूरी है। यदि छात्राएं जा रही हैं तो यह देख लें कि वाहन में महिला शिक्षिका/महिला केयरटेकर है या नहीं। बच्चों को सुरक्षा के लिहाज से उतारा जा रहा है या नहीं। यदि नियमों का उल्लंघन होता है तो कलेक्टर को लिखित में सूचित करें। एक अभिभावक की जागरुकता सैकड़ों बच्चों की सुरक्षा में कारगर हो सकती है।
नौकरी इंदौर में बच्चों की पढ़ाई उज्जैन में
उज्जैन में रहने वाले बहुत से ऐसे नौकरीपेशा हैं जिनकी पोस्टिंग इंदौर में है, लेकिन उनका परिवार उज्जैन में निवास करता है। ऐसे अभिभावकों ने इंदौर आरटीओ द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि उज्जैन आरटीओ को भी अभियान चलाना चाहिए। अमित मिश्रा मक्सी रोड पर निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे यहां निजी स्कूल में अध्ययन करते हैं। बस से स्कूल आाते-जाते हैं। यहां आरटीओ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं देखी गई जबकि इंदौर में आरटीओ दस्ता विशेष चैकिंग अभियान चला रहा है। इंदौर रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले कुणाल जोशी ने भी इसी प्रकार की बात कही।








