अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ को विक्रम कीर्ति मंदिर देने का प्रस्ताव भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की आपत्ति, मुख्यमंत्री को दिया था पत्र – विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम का अधिपत्य सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ को देने को लेकर विरोध सामने आ गया है। शासन की संपत्ति एक एनजीओ को देने पर आपत्ति लेते हुए ऑडिटोरियम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के पास ही रहने देने या कालिदास संस्कृत अकादमी को सौंपने की मांग की जा रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है वहीं भाजपा के नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के सामने पिछले दिनों इसे लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया था।
शासन की ओर से आया था पत्र
विक्रम विवि के अधीन विक्रम कीर्ति मंदिर का संचालन विक्रमादित्य शोध पीठ को दिया जा रहा है। शासन स्तर से पत्र आने के बाद शिप्रांजलि न्यास की बैठक में इस विषय पर निर्णय होना है। इस संबंध में विक्रम विश्वविद्यालय में सरकार की ओर से पत्र आया है। फलहाल विक्रम कीर्ति मंदिर पर ताले जड़े हुए है। विश्वविद्यालय द्वारा किसी भी कार्यक्रम के लिए ऑडिटोरियम की बुकिंग नहीं की जा रही है।
स्थानीय भाजपा नेता भी योजना के पक्ष में नहीं
विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम फिलहाल विक्रम विश्वविद्यालय के पास है। इसे विक्रमादित्य शोध पीठ को देने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में शासन का एक पत्र भी विवि प्रशासन के पास पहुंचा। ऑडिटोरियम को सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ को देने की प्रक्रिया के बीच सांसद अनिल फिरोजिया, महापौर मुकेश टटवाल, पूर्व सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय, नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष सोनू गेहलोत, वरिष्ठ भाजपा नेता राजपालसिंह सिसौदिया सहित शहर के अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया है।
इस पर सीएम शिवराजसिंह चौहान पत्र भी दिया गया। इसमें कहा गया है कि विक्रम कीर्ति मंदिर को विक्रमादित्य शोधपीठ नहीं सौंपा जाए। उच्च शिक्षा मंत्री यादव के अलावा लगभग सभी प्रमुख स्थानीय नेताओं ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। इस निर्णय के विरोध पर उच्च शिक्षा मंत्री ने अपना पक्ष साफ़ नहीं किया।
आपत्ति लेने वाले भाजपा नेता बोले- एनजीओ को क्यों दे सरकारी संपत्ति
ऑडिटोरियम जिसे दिया जा रहा है, वह तो एनजीओ है। शासकीय संपत्ति एक एनजीओ को क्यों दें। एनजीओ को कमाई का जरिया दिया जा रहा है। इसका संचालन कालिदास अकादमी को देने की मांग की है।
अनिल फिरोजिया, सांसद
विक्रम कीर्ति मंदिर किसी एनजीओ को देने की बजाय इसके संचालन, रखरखाव की उचित नीति,नियम और व्यवस्था बनाए। विक्रम विश्वविद्यालय कला से संबंधित कोर्स प्रारंभ कर ऑडिटोरियम का उपयोग करें।
डॉ. चिंतामणि मालवीय पूर्व सांसद
शोधपीठ को देने से कीर्ति मंदिर पर संस्था विशेष का कब्जा हो सकता है। शासन की संपत्ति को किसी की निजी प्रापर्टी क्यों बनने दिया जाए।
सोनू गेहलोत पूर्व अध्यक्ष नगर निगम
विक्रम विश्वविद्यालय तो विक्रम कीर्ति मंदिर का संचालन पहले भी करता था। इसे दूसरे को सौंपना उचित नहीं है। इसे लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ सीएम को पत्र भी दिया था।
राजपालसिंह सिसौदिया भाजपा प्रदेश प्रवक्ता
कांग्रेस नेताओं ने भी किया विरोध
विक्रम कीर्ति मंदिर को किसी भी निजी संस्था को देने से कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में नुकसान होगा। पीठ के संयोजन में होने वाले अधिकांश शासकीय कार्यक्रम विक्रमादित्य शोध पीठ के प्रश्रय और वित्तपोषित संस्था को मिलते रहे है। कार्यक्रमों के एवज में संस्था को लाखों रुपए का भुगतान भी मिलता है।
महेश परमार, विधायक
विक्रम कीर्ति मंदिर को विक्रमादित्य शोध पीठ को देने का इसका पूरी ताकत से विरोध होगा।
भरत पोरवाल, कांग्रेस नेता
विक्रम कीर्ति मंदिर जैसी करोड़ों के मूल्य की संपत्ति, उज्जैन की सांस्कृतिक धरोहर का संचालन प्रशासन अपने हाथों में रखे। ताकि उज्जैन व प्रदेश की अनेक संस्थाओं व सांस्कृतिक कला के क्षेत्र में काम करने वाले कलाकारों की सुविधा और हित सुरक्षित हो सके। विक्रम कीर्ति मंदिर को संचालन हेतु विक्रमादित्य शोध संस्थान को देने का विरोध करते हुए संभागायुक्त के नाम ज्ञापन भी दिया है।
अजीतसिंह, महामंत्री म.प्र. कांग्रेस कमेटी