जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर ज्योतिगिरी महाराज से विशेष चर्चा

मठ-आश्रम से बच्चों के शिक्षित होने से मजबूत होगा हिंदुत्व

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

उज्जैन। महाराष्ट्र के मनमाड़ जिले में गरीब, आदिवासी बच्चों को शिक्षित और दीक्षित करने का महाअभियान चला रहे जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर ज्योतिगिरी का कहना है कि मठ-आश्रम से बच्चों के शिक्षित होने पर ही हिंदुत्व मजबूत होगा। श्री गिरी उज्जैन प्रवास पर आए थे। इस दौरान उन्होंने अक्षर-विश्व से चर्चा की। गिरी ने कहा कि सरकारी सुविधा और प्राकृतिक संसाधन पर दलित वर्ग का भी उतना ही अधिकार है, जितना अन्य वर्ग का। इस वर्ग को शिक्षित करना बहुत जरूरी है। धर्म के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों की प्राथमिकता शिक्षा होना चाहिए। इसी सोच के साथ वह मनमाड़ आश्रम के माध्यम से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। उनके आश्रम में अभी २०० बच्चे हैं, जिन्हें वह व्यवहारिक शिक्षा के साथ धर्म की शिक्षा भी दे रहे हैं। इन बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करवाई जा रही है।

गीता की क्लास अनिवार्य
गिरी जी ने बताया आश्रम में सभी वर्ग के विद्यार्थी साथ-साथ रहते हैं। वह साथ पढ़ाई करते हैं और साथ ही कीर्तन। वह स्वयं दलित बच्चों के साथ एक ही थाली में भोजन करते हैं और बच्चों को स्पर्धा के लिए तैयार करते हैं। उनके आधुनिक गुरुकुल में कम्प्यूटर के साथ सुबह और शाम गीता भी अनिवार्य तौर पर पढ़ाई जाती है। वह कहते हैं कि गीता से समरसता का संदेश मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गुण और कर्म के आधार पर चार वर्णों की व्यवस्था की है, न कि जाति के आधार पर।

भारत में जन्म लेने वाला हर शख्स हिंदू
गिरी ने हिंदू शब्द की भी बेहतर व्याख्या की। उनके अनुसार हिंदू राष्ट्र का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि जिस राष्ट्र में हिंदू रहें, वो हिंदू राष्ट्र है। शिवाजी महाराज के स्वराज्य में सभी तरह के लोग थे। उनके सहयोगियों तथा मंत्रियों में मुस्लिम भी थे। हिमालय से समुद्र पर्यंत तक जिसका जन्म भारत में हुआ है और जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता का सम्मान करता है, वो हिंदू है। उसकी पूजा पद्धति से कोई मतलब नहीं है। महामंडलेश्वर जी कहते हैं कि मैं नहीं मानता कि मुसलमानों का हिंदू राष्ट्र में कोई विरोध है। यदि इस देश में रहीम-रसखान जैसे मुसलमान हुए तो औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह भी। दाराशिकोह ने हत्या करने के लिए उद्दत औरगंजेब से 32 दिन सिर्फ इसलिए मांगे थे कि वह बचे हुए एक उपनिषद का फारसी में अनुवाद कर सके। मोहलत मिलने पर उन्होंने यह अनुवाद किया था। काम पूरा होने के ३१ वें ही दिन उन्होंने औरंगजेब को पैगाम भेजा कि वह उनकी हत्या कर सकता है।

मां अहिल्या श्रेष्ठ शासक
गिरी कहते हैं कि इतिहास ने अहिल्या बाई होलकर के साथ बहुत बेइंसाफी की है। उनके जीवन मूल्य सबसे ऊंचे थे। अच्छे राजा की परिभाषा है कि वह सरल हो, साधारण हो और जनता का ध्यान रखे। वो राजा श्रेष्ठ है जिसके समय युद्ध न हो। अहिल्या बाई ने एक भी युद्ध नहीं होने दिया। उन्होंन भारतीय तीर्थों को संवारा।

पांच मंदिर बनाने वाला युगपुरुष तो ७०० तीर्थ बनाने वाला क्या
गिरी कहते हैं कि पांच मंदिर का निर्माण करवाने वाले को युग पुरुष कहा जाता है, मां अहिल्या ने तो 700 तीर्थों का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया, उन्हें क्या कहना चाहिए।

सवर्णों के प्रभुत्व का दावा गलत
गिरी कहते हैं कि भारत में सवर्ण जातियों के दबदबे और दलितों का शोषण की बात गलत है। अखंड भारत का सबसे बड़ा शासक नंद वंश के संस्थापक जाति से नाई थे। उनके बाद आए चंद्रगुप्त मौर्य गडरिया जाति से थे। मेगास्थनीज ने अपनी किताब में लिखा है कि भारतीय गुरुकुलों में जातिगत व्यवस्था के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था। दलितों विद्यार्थियों की संख्या ब्राह्मणों से ज्यादा थी।

हिंदुत्व का सही प्रचार-प्रसार नहीं
गिरी कहते हैं कि हिंदुत्व की सही चीज़ का प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता। उसका विरोधाभास ज्यादा बताया और दिखाया जाता है। इस्लाम के प्रचार-प्रसार का अध्ययन करें तो वह सदा सत्ता के ऊपर बैठकर चला है, जबकि हिंदू धर्म सदैव सत्ता से टकराकर चला है। जब धर्म को सत्ता के पैरलल चलता है तो हम पिटते हैं। इतिहास में देखें तो चाणक्य ने हिंदुत्व की विचारधारा से अखंड भारत का निर्माण किया, तो हम पीक पर गए क्योंकि विश्व में ऐसी कोई शक्ति नहीं थी जो भारत के सामने खड़ी होती हो। शिवाजी महाराज के समय जातीय व्यवस्था से ऊपर हिंदुत्व था। वह जाति व्यवस्था को बिल्कुल नहीं मानते थे। उनके गुप्तचर विभाग का मुखिया भील जाति का था। दलितों की महार रेजीमेंट थी। उन्होंने अटक से कटक तक राज किया तो वह जातीय व्यवस्था से ऊपर उठकर है।

शिक्षा से ही आएगी राष्ट्रीयता
राष्ट्रीयता का सबसे अच्छा विकल्प शिक्षा है। जरूरी नहीं कि आप हिंदुत्व की किताबें पढ़ाएं, आप अपने सिलेबस में हदीस के कुछ चैप्टर लेकर आएं, कुरान के लेकर आएं, इस्म के लेकर आएं, त्रिपिडक में से कुछ लेकर आएं सभी धर्मों की उन अच्छी चीज़ों को लाएं जो राष्ट्रीयता का विकास करती हैं और भाईचारा बढ़ाती हैं, उन्हें सिलेबस में लाया जाना चाहिए। अब मंदिर से रोटी मिल रही है, उज्जैन इसका उदाहरण है। न जाने कितने लोगों को महाकाल लोक बनने के बाद रोजग़ार मिल रहा है।

Related Articles