खाने को स्वादिष्ट बनाने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को मसाला कहते हैं। इनका उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने के लिए किया जाता है। बहुत से मसालों में बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है। भारतीय मसाले देश और दुनिया सभी जगह अपनी खुशबू और रंग के लिए मशहूर हैं। भारतीय किचन की इन बेसिक जरूरत पर आप भी जीरा, इलायची , बड़ी इलायची, दालचीनी, हल्दी, मिर्च, धनिया जैसे मसालों का व्यापर कर सकतें हैं। साधारण भाषा में मसाला उन कृषि उत्पादों को कहते हैं जो स्वयं खाद्य पदार्थ तो नहीं होते हैं परन्तु उनका उपयोग खाद्य सामग्री को सुगन्धित, स्वादिष्ट, रुचिकर, सुपाच्य व मनमोहक बनाने के लिए किया जाता है ।
इन योजनाओं से मिल रही है किसानों को मदद
सरकार के द्वारा किसानों के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं बनायीं गयी है जिससे की उन्हें मसालों की खेती करने पर किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। इनमे से प्रमुख है:
राष्ट्रीय बागबानी मिशन
राष्ट्रीय कृषि योजना
भारत के प्रमुख मसालें
1.काली मिर्च
किसान भाइयों काली मीर्च को हम मसालों का राजा कहतें है , इसकी खेती किसान भाइयों के लिए मुनाफे का सौदा है , किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकतें हैं। भारत में की जानें वाली काली मिर्च की खेती में अकेले केरल 98 % उत्पादन करता है। इसके बाद काली मिर्च की खेती कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है। काली मिर्च महाराष्ट्र के भी कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
- लाल मिर्च
लाल मिर्च का भी प्रयोग हम मसाला के रूप में करते है। इसकी खेती भारत के अलावा और भी कई देशों में की जाती है। इसे कई राज्यों में ‘अद्भुत मसाला’ भी कहते है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मसालें का उत्पादन भारत में ही किया जाता है। लाल मिर्च के उत्पादन के लिए 10℃ से 30℃ तापमान की जरूरत पड़ती है।
3 . हल्दी
हल्दी की खेती मुख्य रूप से भारत के उपमहाद्वीप तथा दक्षिण पूर्व एशिया में किया जाता है। हल्दी प्रमुख रूप से उष्णकटिबंधीय फसल है , जिसके उत्पादन के लिए लाल मिट्टी की जरूरत पड़ती है। इस मसालें में कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते है इसलिए बाजारों में भी इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। हल्दी के जड़ों को उबालकर और सुखाकर हमारे बाजारों में बेचा जाता है।
- इलायची
इलायची की खेती भी भारत में प्रमुखता से की जाती है। इलायची उत्पादन की अगर हम बात करें तो विश्व में ‘ग्वाटेमाला’ के बाद भारत का दूसरा नंबर है। इसकी खेती 14℃ से 32℃ तापमान में आसानी से की जा सकती है। इलायची के लिए वर्षा की भी जरूरत पड़ती है इसलिए 150 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती करना सही होता है।
5 . लौंग
लौंग की खेती मुख्यरूप से इंडोनेशिया में की जाती है। आज के समय में मसाला फसल के रूप में लौंग की मांग बहुत ज्यादा है। आज के समय में देखे तो लौंग की मांग इंडोनेशिया के अतिरिक्त मेडागास्कर, ज़ांज़िबार, श्रीलंका, मलेशिया तथा भारत में काफी ज्यादा है। किसान भाइयों लौंग के उत्पादन के लिए 25℃ से 35℃ तापमान की जरूरत पड़ती है। लौंग अपने औषधीय गुण के कारण भी जाना जाता है , इसमें एंटीबायोटिक के गुण भी काफी अधिक मात्रा में पाए जातें है।
6. दालचीनी
दालचीनी मूल रूप से श्रीलंका की मध्य पहाड़ियों से उद्भूत हुई है। भारत में इसका उत्पादन नीलगिरी तथा मालाबार की पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। इसके उत्पादन के लिए 20℃ से 30℃ तापमान की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही वार्षिक वर्षा 120 से 250 सेंटीमीटर होनी चाहिए। दालचीनी ‘सिनामोमम वीरम’ नाम के पेड़ की छाल होती है। इस छाल को सुखाकर भोजन मे मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें औषधीय गुण भी होते हैं।