Sunday, October 1, 2023
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90 बच्चें का दत्त अखाड़ा घाट पर तैराकी प्रशिक्षण

समस्या : घाटों पर काई, पैर रखते ही फिसलन, पानी भी गंदा

बच्चे सिंहस्थ जैसे महापर्व के दौरान प्रशासन के सहायक बन सकते हैं

अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन।प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी अप्राजी व्यायामशाला और खेल एवं युवक कल्याण विभाग के संयुक्त प्रयास से शिप्रा नदी के दत्त अखाड़ा घाट पर बालक-बालिकाओं को तैराकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। करीब 90 बच्चे सुबह 7 से 9 और शाम 5 से 7 बजे की शिफ्ट में प्रशिक्षु विनोद चौरसिया से तैराकी के गुर सीख रहे हैं। पीठ पर डिब्बे बांधकर भविष्य के तैराक शिप्रा नदी के आंचल में हाथ पैर मारकर तैराकी का प्रशिक्षण तो ले रहे हैं, लेकिन उनकी कुछ समस्याएं भी हैं जिन पर प्रशासन को ध्यान देना अनिवार्य है।

फिसलन से हड्डी टूटने और घायल होने का भय

शिप्रा नदी में कान्ह नदी का दूषित पानी मिलने के कारण घाट और सीढिय़ों पर काई जम चुकी है। नदी में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु स्नान के साथ भगवान का पूजन कर इसी पानी का आचमन भी करते हैं। घाटों पर काई जमी होने के कारण श्रद्धालुओं के गिरकर घायल होने की समस्या बनी हुई है तो वहीं प्रतिदिन तैराकी का प्रशिक्षण लेने आ रहे बच्चे भी दूषित पानी के साथ काई की समस्या से परेशान हैं। उनमें फिसलकर गिरने से हाथ पैरों की हड्डी टूटने और घायल होने का भय बना रहता है।

8000 तैराकों की जरूरत होती है सिंहस्थ में

तैराकी प्रशिक्षक विनोद चौरसिया ने बताया कि सिंहस्थ महापर्व के दौरान प्रशासन को 8000 तैराकों की जरूरत पड़ती है। उनके द्वारा प्रतिवर्ष 400 से 500 बच्चों को तैराकी का प्रशिक्षण देकर तैराक बनाया जाता है। इन्हीं में से अनेक बच्चे सिंहस्थ महापर्व के दौरान प्रशासन के सहायक बन सकते हैं। चौरासिया बताते हैं कि बच्चों के पीठ पर डिब्बा बांधकर या अन्य संसाधन से प्रशिक्षण देते हैं। सीमित संसाधन के बावजूद भी बच्चे मेहनत व लगन से कुछ ही दिनों में तैराकी सीख लेते हैं।

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