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पर्यटन विभाग को ग्रांड होटल देने पर तनातनी

एमआईसी में फैसला आज: निगम के बड़े अफसर पक्ष में तो जनप्रतिनिधि सहमत नहीं

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बदले में 35 करोड़ रुपए तथा कलेक्टर बंगले के पीछे जमीन देने का प्रस्ताव….

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। शहर की ऐतिहासिक ग्रांड होटल को पर्यटन विभाग को हैंडओवर करने के मुद्दे पर नगर निगम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच आंतरिक तकरार की स्थिति बन गई है। ग्रांड होटल के बदले में 35 करोड़ रुपए और प्रशासन ने दूसरी जमीन देने की तैयारी कर ली है। प्रशासन के अधिकारी इसके लिए पर्यटन विभाग के साथ पत्राचार कर रहे हैं, महापौर परिषद और अन्य जनप्रतिनिधि इससे सहमत नहीं हैं। इस कारण आज एमआईसी में इस मुद्दे पर टकराव के आसार बन गए हैं।

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शहर के मध्य फ्रीगंज क्षेत्र के बेशकीमती इलाके में बनी ग्रांड होटल अभी नगर निगम के अधीन है और यहां निगम के दफ्तर तथा मीटिंग हॉल है। राज्य सरकार इसे संचालन के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग (एमपीटी) को देना चाहती है। इस सिलसिले में प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग नगर निगम प्रशासन को एक पत्र भेजकर ग्रांड होटल को एमपीटी को हैंडओवर करने का निर्देश दे चुका है।

लंबे समय बाद यह मामला एक बार फिर तूल पकड़ रहा है, क्योंकि प्रशासन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए नगर निगम को 35 करोड़ रुपए और जिला प्रशासन ने देवास रोड पर ईओडब्ल्यू के पास जमीन आवंटित की है। महापौर परिषद के कुछ सदस्य इसको लेकर सहमत नहीं हैं। इसके पीछे राशि कम देने की बात बताई जा रही और पर्यटन विभाग को कितनी जमीन देना है, यह साफ नहीं है। आज आज होने वाली एमआईसी में यह प्रस्ताव रखा जा सकता है। कुछ सदस्य इसका विरोध कर सकते हैं। एमआइसी चाहती है कि आय में उसकी भी भागीदारी हो।

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पिछले सिंहस्थ से शुरू हुई कहानी

ग्रांड होटल को पर्यटन विभाग के माध्यम से संचालित करने की कहानी पिछले सिंहस्थ में तब शुरू हुई थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की थी। 2020 में तत्कालीन निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल के समय भी ग्रांड होटल पर्यटन विभाग को सौंपने का मुद्दा गरमाया था। आयुक्त के प्रस्ताव पर तत्कालीन संभागायुक्त और प्रशासक आनंदकुमार शर्मा ने स्वीकृति देकर पर्यटन विभाग को पत्र लिख दिया था। उस समय आयुक्त सिंघल ने कहा था कि हस्तांतरण के बाद होटल भवन और लॉन का स्वामित्व निगम के पास ही रहेगा।

तनातनी के तीन कारण

  1. ग्रांड होटल की जमीन एमपीटी को देने का विरोध इसलिए भी हो रहा क्योंकि प्रशासन ने जो जमीन बदले में नगर निगम को आवंटित की है वह देवास रोड पर करीब पांच किलोमीटर दूर है जबकि एमआईसी सदस्यों का कहना है कि जब कलेक्ट्रेट की नई बिल्डिंग बन रही तो ग्रांड होटल एमपीटी को क्यों दी जा रही?

2. दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि प्रमुख सचिव के पत्र के जवाब में निगम प्रशासन से यह पूछा गया था कि एमपीटी को कितनी जमीन चाहिए और क्या-क्या वह लेगा, इसकी स्थिति साफ की जाए। इस पर निगम प्रशासन की ओर से शासन को पत्र भी भेजा गया था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला।

3. तीसरा कारण यह है कि 35 करोड़ रुपए काफी कम हैं और इससे निगम जरूरत के अनुसार निर्माण नहीं कर सकेगा। यह राशि भी सडक़ों के एक कॉम्बो बजट से देने की बात बताई जा रही। हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है।

प्रक्रिया चल रही, एमआईसी में प्र्रस्ताव
ग्रांड होटल पर्यटन विभाग को देने की प्रक्रिया चल रही है। जिला प्रशासन बदले में जमीन भी आवंटित कर चुका है। नकद राशि भी मिल रही है। एमआईसी में इस प्रस्ताव को रखा गया है।
अभिलाष मिश्रा, आयुक्त नगर निगम

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