कोहरे की आगोश में लिपटा शहर, सर्द हवा ने बढ़ाई ठिठुरन

गर्म कपड़ों में लिपटे शहरवासी रात के तापमान में डेढ़ डिग्री की गिरावट, 10 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही हवा
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। डिप्रेशन (अवदाब), टर्फ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) के असर से हो रही बेमौसम बारिश के चलते मौसम ने बदला हुआ है। पिछले दो दिनों से शहर कोहरे की आगोश में है। बुधवार को भी सूरज नहीं निकला और आसमान में बादल छाए रहे जिससे शहर कोहरे की आगोश में लिपटा रहा। ऐसे में 10 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चली सर्द हवा ने ठिठुरन बढ़ा दी जिससे शहरवासी गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए।
मालवा में मावठा (सर्दी में होने वाली बरसात) आम है। पिछले पांच साल से तो यह ट्रेंड ही हो गया है कि हर महीने बारिश होती है। हालांकि, अमूमन मावठा दिसंबर और जनवरी के बीच गिरता है लेकिन इस बार गुलाबी ठंड ने अक्टूबर की शुरुआत में ही दस्तक दे दी थी और अब मौसम के करवट बदलने से सर्दी अपना असर दिखा रही है। हाल ही में हुई बारिश मौसम को और सर्द बना दिया है। बुधवार को रात के तापमान में डेढ़ डिग्री की गिरावट दर्ज की गई और पारा 20.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया कि मोंथा तूफान के असर, अरब सागर में बने चक्रवात और वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते लगभग पूरे देश में क्लाउडी स्थितियां बनी हुई हैं। जहां-जहां मौसम ठंडा है वहां बारिश भी हो रही है। हालांकि, शहर में जोरदार बारिश तो नहीं होगी लेकिन छिटपुट बारिश की संभावना है। अभी दो-तीन दिनों तक मौसम ऐसा ही रहेगा।
पिछले छह दिन का तापमान का हाल
तारीख न्यूनतम अधिकतम
23 अक्टूबर 21.5 32.27
24 अक्टूबर 23.0 34.0
25 अक्टूबर 22.5 33.8
26 अक्टूबर 22.4 32.0
27 अक्टूबर 20.7 25.7
28 अक्टूबर 22.0 28.0
29 अक्टूबर 20.5-
जिले में 24 घंटे में 30.6 मिमी बारिश
कलेक्टर कार्यालय भू-अभिलेख के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान उज्जैन जिले में औसत 30.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इस दौरान घट्टिया में 3 मिमी, खाचरौद में 61 मिमी, नागदा में 100.4 मिमी, बडऩगर में 67 मिमी, महिदपुर में 22 मिमी और झारडा में 22 मिमी बारिश हुई। 1 जून 2025 से आज दिनांक तक जिले में कुल 905 मिमी बारिश हो चुकी है।
बारिश से खेतों में पानी भरा, मटर-लहसुन को नुकसान
खरीफ फसल की कटाई का काम पूरा होने के बाद रबी की बोवनी जिले में अंतिम दौर में है लेकिन हाल ही में हुई बारिश ने किसानों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। खासकर लहसुन और मटर की फसल में। खाचरौद और बडऩगर के किसानों के खेत में पानी भर गया है और फसल या बीज खराब होने की कगार पर है। हालांकि गेहूं और देरी से बोई मटर, लहसुन के लिए बारिश को एक्सपर्ट फायदेमंद बता रहे हैं।
कृषि विभाग ने उज्जैन जिले में 4.78 लाख हेक्टेयर में रबी फसल बोने का लक्ष्य रखा है। उज्जैन में इस सीजन में मुख्य तौर पर मटर, आलू, लहसुन, प्याज, गेहूं, मसूर, चना और सरसो की बोवनी की जाती है। कृषि अफसरों के मुताबिक तराना और महिदपुर में सरसो की बोवनी पूरी हो गई है, जबकि खाचरौद-बडऩगर में मटर, लहसुन , आलू और प्याज की बोवनी का काम भी हो चुका है। हाल ही में हुई बारिश ने मटर और लहसुन की फसल को नुकसान पहुंचाया है।
यह उथले और निचले दोनों तरह के खेतों में हुआ है। निचले खेतों में बारिश का पानी भरने से 50 फीसदी तक नुकसान हुआ है तो उथले में 10 प्रतिशत। बडऩगर तहसील के माधौपुरा के किसान सतीश नागर ने बताया कि बारिश अधिक होने से मटर और लहसुन की फसल खराब हो गई है। दोबारा से बोवनी करनी होगी। यहीं स्थिति गेहूं में भी बन रही है। रूनीजा के प्रगतिशील किसान तेजराम नागर ने बताया कि बारिश ने खाचरौद, खेड़ावदा और बड़ावदा बेल्ट में खासा नुकसान पहुंचाया है।
क्या हुआ असर
मटर के पौधों की जड़ें खराब हो गई हैं, ऐसे में दोबारा बोवनी की स्थिति बन रही है।
जहां जड़ें ठीक हैं, वहां पानी ज्यादा होने से पौधे की ग्रोथ रुकने की आशंका है।
ग्रोथ कम होने का असर प्रोडक्शन पर पड़ेगा। यह कम हो सकता है।
जिले में 25 फीसदी बोवनी पूरी
कृषि विभाग के उपसंचालक यूएस तोमर ने बताया कि जिले में 4.78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। महिदपुर, तराना में सरसो की बोवनी पूरी हो चुकी है। यहां पौधे पांच से छह इंच के हो चुके हैं। खाचरौद-बडऩगर में मटर, लहसुन और आलू की बुवाई का काम पूरा हो चुका है। जल्दी बोई गई फसलों के लिए बारिश फायदेमंद है। हाल ही में बोई फसलों में जरूर थोड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि जहां अभी बोवनी नहीं हुई है, वहां बारिश की वजह से किसानों को पलेवा नहीं करना होगा। उनका बिजली खर्च बचेगा।









