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महाकाल मंदिर में श्रावण से श्रद्धालुओं का प्रवेश संगमरमर की श्रृंगारित टनल से…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन महाकाल मंदिर में श्रावण उत्सव 22 जुलाई से शुरू होगा। संयोग से इस बार पहला ही दिन सोमवार होने से भक्तों में विशेष उत्साह रहेगा। हर सोमवार को निकलने वाली सवारियों के दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ आने की संभावना है। प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट गया है। सफेद संगमरमर से सजी टनल से भक्तों को प्रवेश देने की तैयारी है। शनिवार को मंदिर प्रशासन विभागों को जिम्मेदारी देने के साथ रूट तय कर सकता है। गर्भगृह में इस दौरान आम दर्शनार्थियों का प्रवेश प्रतिबंधित जारी रखा जा सकता है।

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इस बार श्रावण सवारी से शुरू होगा उत्सव

 

श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू होगा और 19 अगस्त तक रहेगा, लेकिन कुल सात सवारियां निकाली जाएंगी। शाही सवारी 2 सितंबर को निकलेगी। इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार को होने से पहले ही दिन भगवान महाकाल की सवारी निकलेगी। मंदिर में प्रवेश के लिए बनाई गई टनल में सफेद संगमरमर लगाने का काम एक दो दिन में शुरू होने की संभावना है और श्रावण मास आरंभ होने से पहले यह काम पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

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इसी टनल से भक्तों को प्रवेश दिया जाएगा। इससे भीड़ प्रबंधन में आसानी होगी। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा टनल बनाई जा चुकी है। अब इसमें व्हाइट मार्वल और इनले वर्क तथा कार्विंग से सुंदर रूप दिया जाएगा। श्रावण मास में मंदिर की पूजन परंपरा में विशेष बदलाव होता है। श्रावण मास में प्रत्येक रविवार को रात 2.30 बजे मंदिर के पट खुलते हैं। शेष दिनों में मध्य रात्रि 3 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं। सामान्य दिनों में मंदिर के पट ब्रह्ममुहूर्त में प्रात: चार बजे खुलते हैं। इसके बाद भगवान महाकाल की भस्म आरती शुरू होती है।

श्रावण मास में देशभर से कावड़ यात्री भी भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। मंदिर समिति पूजन परंपरा के अनुसार दर्शन की व्यवस्था निर्धारित करती है। कावड़ यात्रियों के प्रवेश व निर्गम को लेकर भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं। इस बार व्यवस्थाएं ठीक रहें इसके लिए मंदिर प्रशासन तैयारी कर रहा है। शनिवार शाम तक महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं। रामघाट पर कब बनेगा

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पालकी पूजन द्वार…

महाकाल सवारी का पूजन हर बार शिप्रा किनारे रामघाट पर किया जाता है। इस स्थान पर लंबे समय से पालकी द्वार बनाकर सुंदर रूप देने की मांग महाकाल मंदिर के पुजारियों द्वारा की जा रही है, लेकिन हर बार यह अधूरी रह जाती है। पुजारी आशीष गुरु पिछले चार साल से इसे बनाने सहित घाट का नामकरण महाकाल घाट करने की मांग भी की जा रही है, जिससे पूजन स्थल की ऊंचाई बढ़ाकर इसकी शुचिता बनाई जा सके।

सावन-भादौ मास में राजा महाकाल की सवारी कब-कब

22 जुलाई- पहली सवारी

29 जुलाई- दूसरी सवारी

 5 अगस्त- तीसरी सवारी

12 अगस्त- चौथी सवारी

19 अगस्त- पांचवीं सवारी

 26 अगस्त- छठी सवारी

2 सितंबर- शाही सवारी

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