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घोटालेबाज बाबू का कारनामा… 8 माह तक फाइल दबाई

जिला पंचायत सदस्य परमार को गुलमोहर कॉलोनी में प्लॉट दिलाने में रचा तानाबाना

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:बसंत विहार (ए 17/12) कॉलोनी निवासी जिला पंचायत सदस्य मुकेश पिता बापूलाल परमार को गुलमोहर कॉलोनी में आवंटित प्लॉट यूडीए ने निरस्त कर जमा राशि 11 लाख रुपए राजसात कर लिए हैं। मामले के तार घोटालेबाज बाबू प्रवीण गेहलोत से जुड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि गेहलोत ने प्लॉट आवंटित कराने के लिए आठ माह तक इसकी फाइल अपने पास दबाकर रख ली थी। परमार गेहलोत का ही कथित रिश्तेदार भी बताया जा रहा है।

 

यूडीए ने मंगलवार को जिला पंचायत सदस्य परमार को आवंटित प्लॉट निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया है। इस खेल को भी बाबू गेहलोत ने ही रचा था। जांच में यह बात भी सामने आई है कि गेहलोत ने परमार को प्लॉट आवंटित कराने के लिए प्रकरण की फाइल को आठ माह तक अपने पास ही दबाए रखा।

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इसका नतीजा यह हुआ कि परमार को प्लॉट आवंटित हो गया। प्राधिकरण प्रशासन अब इस घोटाले से जुड़े सारे तार की भी जांच कर रहा है। इस खेल में बड़ा लेनदेन होने की भी आशंका है। गुलमोहर कॉलोनी का प्लॉट इन दिनों बेशकीमती है।

परमार के खिलाफ कार्रवाई पर मंथन

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मामले में जिला पंचायत सदस्य परमार के खिलाफ भी कार्रवाई पर प्राधिकरण में मंथन हो रहा है। सूत्रों के अनुसार परमार ने मामला सामने आते ही बाबू गेहलोत के कहने पर यह आवेदन करा दिया था कि अगर प्लॉट शर्तों के अनुसार आवंटित न हो सके तो मेरी राशि लौटा दी जाए। परमार ने यह जिक्र भी किया था कि उसने कोटे का प्लॉट पहले सीधे नहीं लिया था। अंतरण के बाद लिया था। मामला शासन को भेजा गया और जांच में पाया गया कि अंतरण से भी शर्तों के अनुसार ही प्लॉट आवंटित किया जाता है। इस आधार पर उसे निरस्त किया गया।

बाबू ने बना रखी थी पूरी गैंग…

कोटे के प्लॉट आवंटित कर लाखों रुपए के खेल करने के लिए घोटालेबाज बाबू गहलोत ने पूरी गैंग बना रखी थी, जिसमें कई लोग शामिल थे। यह गैंग एक प्लॉट पर तीन चार बार लोगों से बड़ी कीमत लेती थी। प्राधिकरण ने इस गैंग पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

मामले से जुड़े तथ्य

गुलमोहर योजना में चार भूखंडों के निवर्तन हेतु निविदा क्र. ईओ 31, दिनांक 23.5.23 तथा संशोधित विज्ञप्ति 16.6.23 को जारी की गई थी।

परमार ने भूखंड क्रमांक 2 (अजा) के लिए 29 जून 23 को पंजीयन कर 3 जुलाई 23 को निविदा डाल कर 1,30, 009 प्रति वार्गमीटर प्रस्तुत की थी।

उच्चतम दर होने से प्राधिकरण ने 2 अगस्त 23 को आवंटन पत्र क्रमांक 4661 जारी किया था।

8 अगस्त 23 को रामचंद्र पिता सिद्धनाथ मालवीय ने प्राधिकरण को शिकायत की थी कि परमार ने गलत जानकारी देकर प्राधिकरण से दो प्लॉट ले।लिए हैं।

11 अगस्त 23 को प्राधिकरण के संपदा अधिकारी ने परमार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।

16 अगस्त 23 को परमार ने उत्तर में कहा था कि शिप्रा विहार में अजा कोटे के भूखंड (सी 2/1) प्रथम आवंटन को सही मानते हैं तो गुलमोहर का आवंटन निरस्त कर राशि।लौटा दें।

प्राधिकरण ने जांच में पाया कि परमार ने शपथ पत्र में शिप्रा विहार के प्लॉट की जानकारी नहीं दी। इस कारण निविदा की शर्त 4 एवं व्ययन नियम का उल्लंघन किया।

परमार ने 21 जून 23 को प्रस्तुत शपथ पत्र में कहा था प्राधिकरण ने पूर्व में कोई संपत्ति आवंटित नहीं की है।

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