यूडीए के घोटालेबाज बाबू के कारनामे, क्लर्क से अफसर बन बैठा

By AV NEWS

सांसद और विधायक कोटे के प्लॉट भी सामान्य को बेचे..!

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) में प्लॉट बेचने के मामले में हुए बड़े खेल के मामले में आखिरकार घोटालेबाज बाबू प्रवीण गेहलोत के विरुद्ध लोकायुक्त ने केस दर्ज कर लिया है। चौंकाने वाला कारनामा यह है कि बाबू गेहलोत ने अपनी तिकड़म से सांसद और विधायक कोटे के प्लॉट भी सामान्य लोगों को बेचकर मोटी रकम कमाई।

प्रवीण गेहलोत किसी जमाने में एक अदना सा क्लर्क था। तत्कालीन कांग्रेस से डायरेक्टर नागेश्वर यादव की मेहरबानी से गेहलोत की यूडीए में एंट्री हुई और फिर उसने अपने शातिर दिमाग से ऐसे खेल रचे कि सहायक संपदा अधिकारी का पॉवर मिल गया, जो कि तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को दिया ही नहीं जा सकता। योजना शाखा में यह घोटाले करने में ऐसा प्रवीण हुआ कि सभी को पीछे छोड़ दिया। यहां तक कि बड़े अफसरों की जगह प्रवीण की ही तूती बोलती थी।

सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण की जांच में बड़ा कारनामा यह पकड़ में आया है कि उसने सांसद कोटे के चार प्लॉट समान्य लोगों को बेच दिए। जिन 23 प्लॉट की जांच चल रही उसमें सांसद कोटे के चार एचआईजी प्लॉट भी शामिल हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि उसने ये प्लॉट खेल रचकर सामान्य लोगों को बेच दिए।

सूत्रों की मानें तो प्रवीण कोटे के प्लॉट बेचने में मास्टर माइंड हो गया था। वह कोटे के लोगों के नाम से डमी प्लॉट खरीदता था और फिर गैंग के साथ मिलकर उनको भू-माफियाओं को ऊंचे दामों पर बेच देता था। उसकी गैंग में पत्नी अनुपमा गेहलोत की भी अहम भूमिका रहती थी। पत्नी को सामान्य शाखा में बैठा दिया था, जिसके माध्यम से उन कर्मचारियों के वेतन रोक दिए जाते थे, जो उसे सहयोग नहीं करते थे। तत्कालीन सीईओ शिवेंद्र सिंह के बाद वह कई बड़े अधिकारियों को अपनी जेब में रखने का दावा भी गैंग के बीच करता था। यही कारण है कि उसे संपदा अधिकारी का पॉवर मिल गया था।

लोकायुक्त अफसर से जुड़े थे तार

प्रवीण के तार लोकायुक्त में पदस्थ एक अधिकारी से जुड़े थे। इसी के माध्यम से बाबू ने अपनी राह के कई कर्मचारियों को रिश्वत मामले में ट्रेप करा दिया। प्रवीण लोकायुक्त को कार्रवाई के लिए गाडिय़ां भी अरेंज करता था। यही कारण है कि पहली बार जेल जाने पर लोकायुक्त के एक अधिकारी ने एक पुलिस अधिकारी को फोन कर छोडऩे के लिए अनुरोध किया था। अब उसी वही लोकायुक्त बाबू के काले कारनामे पकड़ेगा। चर्चा है कि कई मामले अभी फाइलों में दबे हैं।

ग्वालियर में है होटल और रिसोटर्

बाबू गेहलोत ने अपनी काली कमाई से ग्वालियर में होटल और रिसोर्ट बना लिया है। ताऊ ससुर ग्वालियर में थे। इस कारण उनकी जमीन पर अपना रिसोर्ट बना लिया। रिश्तेदारों के नाम पर भी कई प्रॉपर्टी खरीद रखी है। इस होटल में अधिकारियों और नेताओं को सुविधा देकर वह अपने खेल करता था। रजिस्ट्री का पॉवर होने के कारण हर रजिस्ट्री में अच्छी मलाई खाने को मिलती थी।

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