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समय पर उपचार मिला तो युवती की बच गई जान

रेलवेकर्मियों ने सामाजिक दायित्व निभाते हुए तीन बालिकाओं को घर भी लौटाया

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:रेलवे के अधिकारी-कर्मचारी केवल अपना ही नहीं कार्य करते हैं बल्कि अपने ड्यूटी के दौरान व्यस्ततम समय में यात्रियों के लिए समालिक दायित्वों को पूरा करने में पीछे नहीं रहते है। इस तरह के दो प्रसंग सामने आए है। एक में समय रहते उपचार मिलने से युवती की जान बच गई। दूसरे में घर से बगैर बताए मुम्बई जाने के लिए निकली तीन नाबालिक बलिकाओं को उनके परिजनों तक पहुंचा दिया गया।

 

ऑन ड्यूटी टिकट चेकिंग स्टाफ की सजगता

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रेलवे के ऑन ड्यूटी टिकट चेकिंग स्टाफ की सजगता के कारण ट्रेन में यात्रा कर रही युवती को समय पर उपचार मिल गया। उज्जैन की युवती इंदौर-असारवा ट्रेन में यात्रा कर रही थी। रेलवेकर्मी अपने दिन-प्रतिदिन के नियमित कार्यों के साथ ही साथ अपनी सजगता एवं सतर्कता का प्रदर्शन करते हुए कई अनचाही संभावित घटनाओं को रोकने का प्रयास भी करते है। इससे संबंधित कर्मचारी को प्रशंसा तो मिली ही है, रेल प्रशासन के प्रति भी लोगों की सोच में एक सकारात्क वृद्धि हुई है।

तत्काल सीपीआर दिया गया

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गाड़ी संख्या 19315 इंदौर- असारवा ट्रेन में 29 अप्रैल, 2024 को ट्रेन के एस-3 कोच के सीट क्रमांक 48 पर मेघा नाम की युवती उज्जैन से हिम्मतनगर तक यात्रा कर रही थी। इस लड़की द्वारा 29 अप्रैल को रात्रि 23.53 बजे रेल मदद के माध्यम से वणिज्य कंट्रोल को मैसेज कर बताया कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। गाड़ी नीमच पहुंचने वाली थी। वाणिज्य कंट्रोल द्वारा इसकी सूचना तत्काल ऑन ड्यूटी स्टेशन मास्टर नीमच को दी।

नीमच में रात्रि ड्यूटी में रामेश्वर मीना सीसीटीई थे। मैसेज मिलते ही मीना को तुरंत प्लेटफॉर्म क्रमांक 2 पर गए। गाड़ी के नीमच पहुंचने तक यात्री अचेत हो गयी थी। अन्य यात्रियों एवं स्टाफ की सहायता से संबधित महिला यात्री को कोच से बाहर निकालकर उसे 4-5 बार सीपीआर दिया गया तो युवती को होश आ गया। युवती को तत्काल एम्बुलेंस में जिला चिकित्सालय नीचम भेजा गया। अस्पताल में युवती को उपचार दिया गया। रेल कर्मचारी मीना के सजग एवं तत्काल प्रयास के कारण एक यात्री की जान बच सकी है।

काम आई बुकिंग क्लर्क की सतर्कता

घर से बगैर बताए मुम्बई जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंची. तीन नाबालिक बालिकाएं टिकट बुकिंग क्लर्क की सर्तकता से परिजनों को मिल गई। 30 अप्रैल, 2024 को बामनिया स्टेशन पर पर तीन नाबालिक बालिकाएं पहुंची और टिकट काउंटर पर जाकर मुम्बई जाने के लिए टिकट की मांग की। बुकिंग क्लर्क सुनील कुमार को कुछ शंका हुई। उन्हें लड़कियों के हाव-भाव कुछ अलग ही लगे तथा उनके साथ कोई वयस्क यात्री भी नहीं था।

टिकट बुकिंग क्लर्क ने कुछ अनहोनी की शंका पर पहले तो उधर-उधर की बात की,फिर तीनों को किसी तरह रोकने के लिए टिकट देने की परेशानी का जिक्र करते हुए स्टेशन मास्टर कार्यालय में लाकर किसी तरह से बालिकाओं से उनके परिजनों के मोबाइल नंबर प्राप्त कर घर पर संपर्क किया।

इस पर पता चला कि तीनों बगैर घर में बताए निकली है और मुम्बई जा रही है इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद तीनों लड़कियों को रेलवे सुरक्षा बल के हवाले कर दिया गया। परिवार के आने पर लड़कियों को उनके सुपुर्द कर दिया गया। सुनील कुमार, बुकिंग क्लर्क बामनिया की सूझबूझ से तीन बालिकाएं भटकने से बच गई।

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