संकरा पुल-टू लेन कर दिया था अंधेरे में हादसे के फुल चांस…

अनंत चतुर्दशी के कारण वाहनों का आना-जाना पुल के एक ही हिस्से से हो रहा था जो खतरनाक साबित हुआ
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बडऩगर पुल का तकनीकी ऑडिट जरूरी
त्योहारों पर सिर्फ एक ब्रिज से ट्रैफिक ठीक नहीं
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। बडऩगर पुल से पुलिसकर्मियों की कार नीचे गिरने के कई कारण सामने आ रहे हैं जिसमें प्रमुख कारण है अदूरदर्शिता। अनंत चतुर्दशी के कारण बडऩगर पुल की एक ही शाखा से वाहन आ जा रहे थे। संकरे पुल पर वाहनों का आना-जाना और रात के अंधेरे में ओवर टेकिंग हादसे का प्रमुख कारण बना है।
हादसे का जो सीसीटीवी फुटेज सामने आया है वो यही सच्चाई बयां कर रहा है कि संकरा पुल, ट्रैफिक लोड और ओवर टेकिंग का प्रयास हादसे का कारण बना है। पुलिसकर्मियों की कार जब जा रही थी तक आमने-सामने से वाहन क्रॉस हो रहे थे और इसी बीच ओवरटेक का प्रयास हुआ। रात के अंधेरे में पुल की सीमा आंकने में गलती हुई और कार पुल से नीचे गिर गई। फुटेज में दिख रहा है कि जैसे ही कार ब्रिज पर चढ़ती है, इसी दौरान सामने से तेज रफ्तार में एक और चार पहिया वाहन ब्रिज की ओर आ जाता है। पुलिसकर्मियों की कार ओवरटेक का प्रयास करती है और तीन गाडिय़ां एक साथ आने की वजह से कार अनियंत्रित होकर पुल से नीचे गिर जाती है।
ब्रिज की चौड़ाई 24, वाहनों के लिए 21 फीट रास्ता
ब्रिज की चौड़ाई करीब 24 फीट है और दोनों ओर के रैलिंग के हिस्से को कम कर दिया जाए तो वाहनों के आने-जाने के लिए करीब २१ फीट जगह ही ब्रिज पर बचती है। सामान्य फोर व्हीलर की चौड़ाई ६ फीट होती है और सडक़ पर गुजरने के लिए 7 फीट स्पेस कम से कम चाहिए। अगर तीन वाहन एक साथ आ जाते हैं तो उन्हें संकरे पुल पर जगह कम पडऩा तय है। वर्ष १९६२ में बना ब्रिज का पुराना हिस्सा सबमर्सिबल ब्रिज की श्रेणी में आता है। बारिश के दिनों में पानी में डूबने की स्थिति बनने के कारण यहां से रैलिंग और लाइटें बारिश सीजन शुरू होते समय हटा दी गई थीं। ऐसे में सीमित जगह में अंधेरे के बीच ओवर टेकिंग के प्रयास में कार का संतुलन बिगड़ा और दुर्घटना हो गई।
अनंत चतुर्दशी के कारण ब्रिज का एक हिस्सा बंद था
बडऩगर रोड ब्रिज का एक हिस्सा काफी पुराना है, जबकि दूसरा नया है। यहां वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक और समानांतर ब्रिज बनाया गया है। दोनों ब्रिज वन-वे हैं। आना-जाना अलग-अलग ब्रिज से होता है। ६ सितंबर को घटना के दिन अनंत चतुर्दशी के कारण ब्रिज की एक साइड बंद कर दी गई थी। सिर्फ एक ब्रिज (पुराने हिस्से) से ही वाहनों का आना-जाना हो रहा था। इसी दौरान आने-जाने वाले वाहनों की क्रॉसिंग और पुलिस वाहन के ओवर टेकिंग की स्थिति बनी, और दुर्घटना हो गई।
घर से विदाई के बाद आरती पाल का अंतिम संस्कार
अस्पताल में फ्रीजर खराब थे, टीआई ने खुद के खर्चे पर सुधरवाया, फिर सुरक्षित रख पाए लेडी कांस्टेबल की बॉडी
उज्जैन। बडऩगर पुल हादसे में जान गंवाने वाली महिला कांस्टेबल आरती पाल का बुधवार सुबह उज्जैन में अंतिम संस्कार किया गया। जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव कानीपुरा रोड स्थित सैफरान कॉलोनी स्थित आरती के घर ले जाया गया, जहां परिजन व पुलिस परिवार ने नम आंखों से आरती को विदा किया। करीब १०.३० बजे चक्रतीर्थ पर अंतिम संस्कार किया गया। भाई लोकेंद्र ने मुखाग्नि दी। आरती के निवास पर ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शवयात्रा में एडीजी उमेश जोगा, डीआईजी नवनीत भसीन, कलेक्टर रौशनकुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा, नगर निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा, शहरी क्षेत्रों के सभी थाना प्रभारी मौजूद थे। पुलिस परिवार के लोगों ने ही आरती के माता-पिता और भाई को सहारा देकर सांत्वना दी।
सात भाइयों की इकलौती बहन थी
मां शीला पाल ने बताया आरती सात भाइयों की इकलौती बहन थी। हमेशा हंसती रहती थी। 30 जुलाई को बड़े बेटे जितेंद्र पाल (45) का निधन हो गया था। इसके बाद की रस्मों के लिए 4 सितंबर को वह घर आई थी। धूप ध्यान की रस्म के बाद सब साथ बैठे थे। इसी दौरान उसने नवमी के दिन दादाजी के श्राद्ध में आने का वादा किया था। वह सभी भाइयों की आंखों का तारा थी। 5 सितंबर की शाम वह ड्यूटी पर लौटी और 6 सितंबर को हादसा हो गया। आरती २०१२ में पुलिस विभाग में आई थीं और महाकाल थाने पर पहली पोस्टिंग हुई थी। पिछले चार साल से वे उन्हेल थाने पर थीं।
बंद थे जिला चिकित्सालय के फ्रीजर: आरती का शव गृहनगर रतलाम ले जाने की चर्चा हुई लेकिन शव की स्थिति ठीक नहीं होने से उज्जैन में अंतिम संस्कार करना तय हुआ। जब शव को जिला चिकित्सालय के पीएम रूम में रखने भेजा तो पता चला कि डीप फ्रीजर ही बंद हैं तब जीवाजीगंज टीआई विवेक कनोडिया ने बंद पड़े दो फ्रीजर दुरुस्त करवाए। इनकी मोटर खराब थी और वायरिंग कट चुकी थी। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में ३ डीप फ्रीजर है जिसमें से २ खराब थे। 1 फ्रीजर में शव रखा था।









