मरीज ने कहा- डॉक्टर साहब मुझे डाइरिया हो रहा है …तो मैं क्या करूं…?

दवाई भोपाल से नहीं आ रही है, साहब से मिल लो

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:डॉक्टर साहब मुझे डाइरिहा हो रहा है, दस्त लग रहे हैं….तो मैं क्या करूं…? ज्यादा समस्या हो तो वॉश रूम हो आओ। बाहर जाकर डॉ. व्यास से मिलो। इस पर मरीज बिफर गया और बोला: साहब ये तो कोई बात नहीं हुई। यहां दवाई नहीं मिल रही है, यह बताने आया हूं। दस्त जैसी साधारण बीमारी का भी उपचार नहीं हो रहा है तो आप लोग क्या कर रहे हो ?

ये घटनाक्रम है शा.धनवंतरि आयुर्वेद चिकित्सालय का। यहां की ओपीडी में मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन यहां साधारण उपचार की दवाई का भी अभाव है। दवाई अस्पताल के माध्यम से राज्य सरकार नि:शुल्क वितरित करती है। ऐसे में मरीज तो परेशान है ही, डॉक्टर्स में भी विवाद हो रहा है।

ऐसा ही विवाद बुधवार को अस्पताल में हो गया। एक मरीज डॉक्टर को दिखाने गया और बताया कि उसे दो दिन से दस्त लग रहे हैं। डॉक्टर ने कहाकि यहां दवाई उपलब्ध नहीं है। बाहर की लिख सकता हूं। मरीज ने कहाकि साहब मैं खरीद नहीं सकता। वैसे भी आयुर्वेदिक दवाईयां महंगी मिलती है बाहर दुकानों पर। इस पर उपस्थित कंपोडर ने कहा-ऐसा करो, सरकारी अस्पताल चले जाओ। वहां से एलोपैथी की दवाई मिल जाएगी।

इस पर मरीज नाराज होकर चिल्लाने लगा। तब डॉक्टर ने हस्तक्षेप करके कहा-आपको विश्वास नहीं हो रहा कि दवाईयां खत्म हो गई है। आप ऐसा करो, प्रधानाचार्य डॉ.जे.पी. चोरसिया से जाकर मिल लो। अपने कर्मचारी से कहा-इनको उनका कक्ष बता दो। अब मरीज प्रधानाचार्य के कक्ष में पहुंचा और अपनी बात रिपिट की।

इस पर डॉ. चोरसिया ने पूछा आपको यहां किसने भेजा। मरीज बोला-डॉ. व्यास ने। प्रधानाचार्य ने तुरंत अपने भृत्य से कहा डॉ.व्यास को बुलाओ। डॉ. व्यास जब कमरे में पहुंचे तो अंदर से जोर-जोर से बात करने की आवाज बाहर सुनाई देने लगी। वे डॉ.व्यास से कह रहे थे-मरीजों को मैरे पास क्यों भेजते हो? दवाई बनाना तुम्हारा काम है। डॉ.व्यास ने कहाकि दवाईयां हो तो मैं मिश्रण तैयार करवाऊं।

मधुमेह की दवाई तो सालों से नहीं है यहां

चर्चा में प्रधानाचार्य ने बताया कि हमारे यहां शासन द्वारा भोपाल से दवाईयां भेजी जाती है। जिन दवाईयों की कमी होती है,लिखकर भेज देते हैं। वहां से दवाईयां आ ही नहीं रही है तो हम क्या करें? इस प्रश्न पर कि मधुमेह की दवाई तो सालों से नहीं मिल रही। उन्होने कहा-देखिये,मधुमेह की एक दवाई नहीं होती। मिश्रण बनता है। इसके अलावा केप्सूल रहते हैं। अब दवाईयां है ही नहीं तो मिश्रण कैसे तैयार होगा? हर बात भोपाल पत्र लिखकर मांग कर लेते हैं। जब तक वहां से नहीं आएगी,हम कुछ नहीं कर सकते। हां, मरीज के कहने पर बाहर की लिख सकते हैं।

कुछ इंतजाम करते हैं

प्रधानाचार्य डॉ. चोरसिया ने चर्चा करने पर कहाकि दवाईयां भोपाल से ही नहीं आ रही है। पूरे स्टॉफ को पता है। बावजूद इसके मरीज को मैरे पास भेज देते हैं। मेडिकल ऑफिसर डॉ.व्यास को हैण्डल करना चाहिए। उन्होने बताया कि अभी उन्होने संयुक्त संचालक,भोपाल से बात की है। बताया है कि मरीज परेशान हो रहे हैं। उन्होने कहा है कि तुरंत कुछ इंतजाम करते हैं।

बाहर मरीजों की कतार लगी है, उन्हें कौन देखेगा?

चर्चा करने पर डॉ. व्यास ने कहाकि मरीजों को रोज मना करते हैं। रोज-रोज मना करने पर वे हमसे विवाद करने लग जाते हैं। हम प्रधानाचार्य को बता देते हैं। कुछ मरीज जब अधिक विवाद करते हैं तो उन्हे भेजना पड़ता है हायर अथारिटी के पास। इसके अलवा क्या कर सकते हैं? हम विवाद में व्यस्त हो जाएंगे तो बाहर मरीजों की कतार लगी है, उन्हें कौन देखेगा?

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