महाकालेश्वर मंदिर के जूता स्टैंड बने कमाई का जरिया

आउटसोर्स कंपनी के सुपरवाइजर ड्यूटी लगाने के लेते हैं तीन सौ रुपए
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या बढऩे के बाद से यहां हर काम कमाई का जरिया बन गया है। जूता स्टैंड भी इसमें शामिल है। जूता स्टैंड पर काम करने के लिए कर्मचारियों को रोज तीन सौ रुपए तक सुपरवाइजर को देना पड़ते हैं।
यह बात इन दिनों सोशल मीडिया पर चल रहे ऑडियो में सामने आ रही है जिसमें एक सुपरवाइजर जूता-स्टैंड पर ड्यूटी लगाने के बदले शराब और मैनेजर के लिए भी रुपए मांग रहा है। बातों के दौरान वो जूता स्टैंड पर होने वाली कमाई का जिक्र भी करता है। बाद में कर्मचारी द्वारा रुपए दिए जाने की बात सामने आती है और अगले दिन ही ड्यूटी चार्ट में उस कर्मचारी की ड्यूटी जूता स्टैंड पर लग जाती है। अक्षरविश्व के पास भी वह ऑडियो आया है जिसमें कर्मचारी से हाल ही में पानी व्यवस्था से स्थानांतरित होकर आया सुपरवाइजर रुपए के लेनदेन की बात कर रहा है।
ऑडियो वायरल मेरी जानकारी में नहीं
लेन-देन का ऑडियो मेरी जानकारी में नहीं है। कल ही शिकायतें मिलने पर मैने दो सुपरवाइजर शिरीष और सोनू शर्मा को जूता स्टैंड से बदलकर सफाई व्यवस्था में लगाया है।
जितेंद्र चावरे, मैनेजर केएसएस
कैसे होता है कमाई का खेल
जूता स्टैंड पर अकसर दर्शनार्थी खुश होकर कुछ टिप्स कर्मचारी को दे जाते हैं। कुछ लोग अपने महंगे जूतों का विशेष ध्यान रखने के बदले रुपए देते हैं। भस्मार्ती के श्रद्धालु सुबह-सुबह जूते-चप्पल संभालने के लिए रुपए देते हैं।
बड़ा फायदा छोड़े गए जूते-चप्पल से होता है। अकसर दर्शनार्थी यह भूल जाते हैं कि उन्होंने जूते-चप्पल किस स्टैंड पर उतारे थे। वे बिना जूता-चप्पल लिए ही लौट जाते हैं।
कुछ लोग प्रवेश द्वार के आसपास जूते-चप्पल छोड़ जाते हैं जो बाद मेें सफाई कर्मचारी उठाकर स्टैंड पर ले आते हैं। दर्शनार्थी जूते-चप्पल को गुम मानकर बिना खोजबीन के लौट
जाता है।
इस तरह लावारिस जूते-चप्पलों को बेचकर स्टैंड कर्मचारी रोज अच्छी खासी कमाई करते हैं। त्योहारों व भीड़ भरे दिनों मेें यह हजारों रुपए में होती है।
जूता स्टैंड हैं मंदिर में
श्री महाकालेश्वर मंदिर में पांच जूता स्टैंड हैं जो कि मानसरोवर गेट, प्रशासनिक कार्यालय के सामने, वीआईपी (जूना महाकाल के पीछे), 10 नंबर गेट और बड़ा गणेश मंदिर के सामने बने हैं। सर्वाधिक जूते-चप्पल मानसरोवर स्टैंड पर आते हैं। इन स्टैंडों पर निजी आउटसोर्स कंपनी केएसएस के दो कर्मचारी दो शिफ्ट में सेवाएं देते हैं। कर्मचारियों की ड्यूटी भी केएसएस कंपनी के मैनेजर और सुपरवाइजर ही लगाते हैं।
भीड़ कम हुई तो रिश्वत देना भारी
जूता-चप्पल स्टैंड के प्रत्येक कर्मचारी को रोज सुपरवाइजर व मैनेजर के करीब 500 रुपए से अधिक निकालना पड़ते हैं। भीड़ वाले दिनों में तो यह आसान होता है लेकिन इन दिनों दर्शनार्थियों की भीड़ कम होने से रुपए निकालना मुश्किल हुआ। कर्मचारी परेशान हुए और अंदर की बात सामने आ गई। हालांकि कम भीड़ के कारण रेट भी घटाकर प्रत्येक कर्मचारी 200-300 रुपए कर दिया गया है।









