फिर लाल होगा चंद्रमा… लेकिन हमें नहीं दिखेगा

तीन वर्ष बाद 14 मार्च को साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण

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ग्रहण का समय

आरंभ: सुबह 10.39.03 पर

मोक्ष: दोपहर 2.18.02 पर

कितना: 118.3 प्रतिशत

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। असमान में चंद्रमा गुस्से से लाल नहीं होगा बल्कि ब्लड मून की अद्भुत खगोलीय घटना के कारण 14 मार्च को यह लाल रंग का दिखाई देगा। तीन वर्ष बाद इस साल का यह पहला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, लेकिन उज्जैन सहित पूरे भारत में यह दिखाई नहीं देगा।

भारत में इस ब्लड मून को प्रत्यक्ष रूप से इसलिए नहीं देखा जा सकेगा, क्योंकि ग्रहण उस समय दोपहर में होगा, जब भारत में चंद्रमा आकाश में नहीं रहेगा। जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया 14 मार्च को इस वर्ष का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। दिन के समय ग्रहण होने के कारण यह भारत में दिखाई नहीं देगा।

खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तर और दक्षिण अमेरिका के लोग इस ब्लड मून को पूरी तरह से एक घंटे तक निहार सकेंगे। इस दिन (14 मार्च) चंद्रमा खूबसूरत लाल रंग में नजर आएगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह नज़ारा बेहद खास होगा क्योंकि 2022 के बाद पूर्ण चंद्रग्रहण होने जा रहा है। उज्जैन, इंदौर और भोपाल सहित सभी भारतीय खगोलप्रेमी इस अद्भुत घटना को सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर देख सकेंगे।

इसके लिए नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) और अन्य खगोलीय संस्थानों के यूट्यूब चैनलों पर लाइव स्ट्रीमिंग देख सकेंगे। पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला के प्रकल्प अधिकारी घनश्याम रत्नानी बताते हैं जब चंद्रमा लाल या सुर्ख भूरे रंग का दिखाई देता है, तो इसे ब्लड मून कहते हैं। यह एक खगोलीय घटना है जो पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान होती है। इस वैश्विक घटना के दौरान, जो दुनिया भर में एक साथ एक ही समय में घटित होगी, चंद्रमा की सतह 65 मिनट के लिए लाल हो जाएगी। इस खगोलीय घटना को ‘ब्लड मून’ कहा जाता है।

खगोल अध्येता एवं ज्योतिषाचार्य पंडित भरत तिवारी के अनुसार हर पूर्ण चंद्रग्रहण ब्लड मून नहीं होता, लेकिन हर ब्लड मून एक पूर्ण चंद्रग्रहण होता है। ब्लडमून का विशेष खगोलीय महत्व नहीं है, लेकिन यह एस्ट्रोनॉमर्स के लिए मनोरम और दुर्लभ घटनाक्रम होती है। सबसे बड़े ग्रहण का बिंदु प्रशांत महासागर में होगा, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में सबसे अच्छे दृश्य देखने को मिलेंगे। यूरोप के कुछ क्षेत्रों में चंद्रमा के अस्त होने का हल्का सा दृश्य देखने को मिलेगा और पूर्वी एशिया में चंद्रमा के उदय के समय इस नजारे की झलक देखने को मिलेगी।

इसलिए दिखाई देगा लाल

पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरता है. इस प्रक्रिया को रेली स्कैटरिंग कहा जाता है, जिसमें नीली रोशनी बिखर जाती है, जबकि लाल और नारंगी प्रकाश चंद्रमा तक पहुंचता है, जिससे वह लाल, नारंगी या तांबे (कॉपर) के रंग का दिखता है। हिंदू मिथक के अनुसार, यह घटना राहु और केतु से जुड़ी मानी जाती है, जब राहु को भगवान विष्णु ने अमृत पीने के बाद सिर से अलग कर दिया था।

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