खतरा है… शहर में बहुमंजिला भवनों में लगी लिफ्ट असुरक्षित…..!

लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए नहीं है कड़ा कानून, दफ्तरों, आवासीय बिल्डिंग और अस्पतालों में उपयोग
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर की अधिकांश इमारतों में लगी लिफ्ट को नियंत्रित करने के लिए कोई लिफ्ट अधिनियम नहीं है। लगभग सभी स्थानों पर लगी लिफ्टे असुरक्षित हैं। नियमित अंतराल पर लिफ्ट के निरीक्षण या निगरानी करने के लिए कोई सरकारी मशीनरी नहीं है।बाकी की निगरानी लिफ्ट कंपनी द्वारा वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) के तहत की जाती है। शुल्क अधिक होने के कारण उपयोगकर्ताओं द्वारा इसका निरीक्षण भी नहीं कराया जाता है।

शहर में बहुमंजिला इमारतों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही लिफ्ट और एस्केलेटर का उपयोग भी बढ़ गया है जबकि इनके संचालन के लिए प्रदेश में कोई कानून नहीं है। लिफ्ट से बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने नियम जरूर बनाए हैं, लेकिन कानून नहीं होने से भवन मालिकों को डर नहीं है।
इसलिए गंभीरता नहीं
बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं और उनमें लिफ्ट का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इसके संचालन के लिए कानून नहीं है। लिफ्ट में फंसने, लिफ्ट का गेट खुलने की घटनाएं हमेशा सामने आती रहती है। ऐसे मामलों में लिफ्ट लगाने और रखरखाव करने वाली एजेंसी या व्यक्ति के खिलाफ दुर्घटना का मामला दर्ज होता है। इसमें जिम्मेदार को सामान्य रूप से जमानत मिल जाती है। बीते कुछ सालों में बड़ी बिल्डिंग बनाने का चलन बढ़ा है। निजी भवन निर्माता छोटी जगह से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए फ्लैट बनाते हैं। इनमें लिफ्ट भी लगाई जाती हैं, लेकिन इनसे दुर्घटना होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।
विद्युत सुरक्षा विभाग भी जांच नहीं करता
शहर में बहुमंजिला भवनों में लगीं लिफ्ट असुरक्षित हैं। विद्युत सुरक्षा विभाग लिफ्ट लगने के बाद उनकी वार्षिक जांच करना भूल गया है। अफसरों का कहना है जब किसी भवन में ठेकेदार द्वारा लिफ्ट लगाई जाती है, तभी उसका निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद न तो लोगों ने विभाग में संपर्क किया और ना ही अफसरों ने लिफ्ट में सुरक्षा को जानने का प्रयास किया। विभाग के अफसरों के पास शहर में लगी लिफ्टों की जानकारी तक नहीं है। हादसों के बाद भी सरकारी अमला कोई सबक नहीं लेता।
लिफ्ट में ढाई घंटे तक फंसी रही युवतियां
नानाखेड़ा थाने के सामने स्थित एक कमर्शियल बिल्डिंग की लिफ्ट में सोमवार रात दो युवतियां फंस गई। करीब ढाई घंटे तक दोनों युवतियां लिफ्ट में फंसी रही। लिफ्ट के गेट को तोड़कर दोनों युवतियों को सुरक्षित बाहर निकाला। ईओडब्ल्यू उज्जैन में पदस्थ डीएसपी कल्पना मिश्रा की बेटी सुहानी और उनकी एक दोस्त दर्शना जोशी नानाखेड़ा थाने के सामने स्थित कमर्शियल बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर संचालित बायोफिट लेडीज जिम में एक्सरसाइज के लिए गई थी। जिम में वर्क आउट के बाद सुहानी और दर्शना शाम करीब 7.30 बजे लिफ्ट से ग्राउंड फ्लोर पर आ रही थी।
इस दौरान सेकंड फ्लोर पर आकर दोनों लिफ्ट में फंस गई। तकनीकी खामियों के चलते लिफ्ट का दरवाजा नहीं खुल रहा था। सुहानी को लेने आए उनके पिता शैलेष मिश्रा ने जब बेटी को मोबाइल पर कॉल किया तो सुहानी ने लिफ्ट में फंसे होने की जानकारी दी। घटना की जानकारी मिलने पर डीएसपी मिश्रा, नानाखेड़ा थाना प्रभारी नरेंद्रकुमार यादव सहित अन्य पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे।
टेक्नीशियन और अन्य लोगों की मदद से करीब ढाई घंटे बाद लिफ्ट का दरवाजा तोड़कर दोनों युवतियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। डीएसपी (ईओडब्ल्यू) मिश्रा ने बताया लिफ्ट बेहद खराब स्थिति में है। उनके पति शैलेष ने जब इंदौर में रहने वाले यश नामक भवन मालिक को लिफ्ट में दोनों युवतियों के फंसे होने की जानकारी देते हुए बताया कि लिफ्ट को तोड़कर दोनों को बचाना होगा। इस पर यश ने दोनों युवतियों की जान की परवाह नहीं की और बोला कि लिफ्ट मत तोडऩा। डीएसपी मिश्रा ने बताया इस मामले में वह पुलिस को शिकायत करेंगी।
स्थपना के समय करते हैं निरीक्षण
विद्युत कंपनी के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विद्युत सुरक्षा विभाग लिफ्ट लगवाने की अनुमति के समय ही निरीक्षण रिपोर्ट लेते हैं, जबकि लिफ्ट के संचालन के बाद सालाना निरीक्षण होना चाहिए। विद्युत सुरक्षा की जांच के लिए फीस जमा होती है, जिसे आज तक किसी भी लिफ्ट की जांच के लिए भवन स्वामियों द्वारा जमा नहीं की गई। इसलिए वार्षिक निरीक्षण भी नहीं किया गया।
लिफ्ट पर वार्षिक रिपोर्ट तक चस्पा नहीं
बहुमंजिला भवनों में लगीं लिफ्ट कितना भार उठाने में सक्षम है, वार्षिक निरीक्षण हुआ या नहीं इसकी रिपोर्ट तक लिफ्ट पर चस्पा नहीं है। जिला प्रशासनिक संकुल,शहर के अधिकांश शापिंग माल्स,निजी अस्पतालों,बड़े भवनों में लिफ्ट लगी है। इनके संचालन के लिए कोई भी कर्मचारी नहीं है। लिफ्ट के कहीं भी जानकारी चस्पा नहीं मिली। इसी लापरवाही के चलते लिफ्ट में क्षमता से अधिक लोग सवार हो जाते हैं,जो हादसे का कारण बनता है।
लिफ्ट कंपनी ही करतीं है संधारण
लिफ्ट लगाने वाली कंपनियां लिफ्ट संधारण का काम करती हैं, मगर विद्युत संबंधी सुरक्षा उपकरणों की जिम्मेदारी विद्युत विभाग की होती है। जो इस बात को तय करता है लिफ्ट के लिए विद्युत को जो लोड(मीटर) लिया गया है, उसी के अनुसार लिफ्ट का उपयोग हो रहा है अथवा नहीं। इसकी जांच के लिए अफसरों ने कभी समय नहीं निकाला। बताया जाता है कि लिफ्ट कंपनियां लिफ्ट संधारण का काम करती,लेकिन सेवा शुल्क अधिक होने के कारण उपयोगकर्ताओं द्वारा लिफ्ट के वार्षिक संधारण पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
जल्द ही कार्ययोजना बनाई जाएगी
लिफ्ट संचालन,संधारण के विषय पर क्या हो सकता है देखते है। नियम और मापदंड़ का पता लगाने के साथ ही विशेषज्ञों से उचित जानकारी प्राप्त कर सिस्टम बनाया जाएगा। -नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर उज्जैन।








