20 का नारियल बेच देते हैं मात्र पांच रुपए में…

चढ़े हुए नारियल का कारोबार… गणेश विसर्जन में आए नारियलों का नहीं हुआ विसर्जन
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भक्तों को सलाह, कुमकुम, रोली, सिंदूर लगा नारियल न खरीदें

उज्जैन। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि शहर में पवित्र नारियल का अपवित्र कारोबार हो रहा है। जो नारियल बदर गया यानी फोड़ लिया गया वह तो प्रसाद के रूप में बंट जाता है। जो नहीं बदरता वह कहां जाता है। गणेश विसर्जन के दौरान नदी के तट और कुंड पर हजारों नारियल आए। नगर निगम के अधिकारियों को पता लगाना चाहिए कि इन नारियलों का क्या होगा।
अक्षर विश्व की टीम ने गणेश विसर्जन स्थलों का दौरा किया। नगर निगम की ओर से शानदार व्यवस्थाएं की गई थीं। नदी पर एक बड़ी गाड़ी खड़ी की गई थी। कुछ लोगों ने ऋणमुक्तेश्वर और कुछ लोगों ने मंगलनाथ पहुंच कर विसर्जन किया। हीरामिल की चाल में पहले से बने कुंड में विसर्जन के लिए अच्छी व्यवस्था की गई थी। यहां टेबलें लगाई गई थीं। श्रद्धालु यहीं पर पूजा करने के बाद आरती और प्रसाद वितरण कर रहे थे।
निगम ने मंगवाई थी के्रन
गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए नगर निगम की ओर से क्रेन मंगवाई गई थी। इसी के सहारे प्रतिमाओं का विसर्जन हो रहा था। विसर्जन के पूर्व वहां तैनात कर्मचारी मंगल मूर्ति में जडि़त सामग्री, वस्त्र, पुष्पमाला और अन्य सामग्री निकाल कर अलग रख रहे थे। बाद में यही सामग्री एक बड़े वाहन में रख दी गई। कर्मचारियों का कहना था कि यदि विसर्जन में इसे भी डाल देंगे तो पानी तो सड़ेगा ही साथ ही भराव भी हो जाएगा। यह कुंड के लिए ठीक नहीं है।
नारियल रखे बोरियों में: ऐसी मान्यता है कि गणेश विसर्जन के समय नारियल बदारा नहीं जाता। भगवान को पूरा ही नारियल चढ़ता है। लिहाजा, यहां आने वाले गणेश भक्तों ने पूरे ही नारियल चढ़ाए। मजेदार बात यह है कि विसर्जन के समय कर्मचारियों ने नारियल निकाल लिए और बोरियों में पैक कर लिए। सवाल यह है कि जो सामान इक_ा किया गया उसका उपयोग तो हो जाएगा लेकिन जो नारियल रखे गए हैं उसका क्या होगा? यह बात हर व्यक्ति के मन में कौंध रही थी। चूंकि भीड़ इतनी थी इसलिए लोगों ने ज्यादा पूछताछ नहीं की।
नदी से निकालते हैं नारियल
यदि आपको सच्चाई से रूबरू होना है तो शिप्रा के किसी भी तट पर चले जाइए, हकीकत सामने आ जाएगी। छोटी रपट में कई किशोर नहाने से स्वांग रचते रहते हैं। यदि आपने नदी में कुछ विसर्जित किया तो वे अगले ही पल मेें उसे अपने कब्जे में ले लेते हैं। जब उनसे पूछा गया कि इन नारियलों का क्या करते हो? उनका कहना था ५ रुपए में बिक जाता है। मंगलनाथ के आसपास भी इसी तरह के किशोर और युवा मंडराते रहते हैं। इनका भी कहना है चढ़े हुए नारियल का दोबारा बाजार में आना नई बात नहीं।
आप तो सावधानी जरूर बरतें
नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। पूजा में इसकी साक्ष्य और समर्पण के लिए बड़ी उपयोगिता मानी गई है। कुछ अवसरों पर नारियल बदार दिया जाता है लेकिन कुछ पूजा में पूरा ही अर्पित करना पड़ता है। नारियल उतारे और नजर उतारने के काम भी आता है। ऐसे नारियलों का घर में रखना शुभ नहीं माना जाता। यदि ऐसा नारियल घर में आ जाए और अनिष्ट की संभावना मानी जाती है। अत: श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे अपनी ओर से पूरी सावधानी बरतें। यदि नारियल पर कुमकुम, सिंदूर और अन्य रंग लगा हो तो न खरीदे। धोने से रंग मिट जाता है लेकिन धुले हुए नारियल पहचान में आ जाते हैं। इसलिए ऐसे नारियल भी न खरीदें।
निगमायुक्त को हिसाब लेना चाहिए
गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए आए विजय शर्मा और हरदीप सिंह ने कहा कि नारियल बचा कर रखने का मामला कुछ समझ में नहीं आया। नगर निगम के आयुक्त को इस ओर ध्यान देना चाहिए। पता लगाना चाहिए कि आखिर इतने सारे नारियलों का क्या होगा। डॉ. एजे शर्मा और ज्योति उपाध्याय ने कहा कि यही नारियल यदि पुन: बाजार में आते हैं तो यह गलत है। प्रशासन को इस पर रोक लगाना चाहिए।








