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तीन शुभ योग खरीदी के लिए महाफलदायी, भौम प्रदोष सोने पर सुहागा

धनतेरस से दीपोत्सव की शुरुआत, मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में बुध व शुक्र की युति बनाएगी लक्ष्मीनारायण राजयोग

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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। दीपोत्सव की शुरुआत २९ अक्टूबर को धनतेरस से होगी। संयोगवश इस दिन मंगलवार होने से भौम प्रदोष रहेगा। वहीं त्रिपुष्कर, ऐंद्र, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग रहेगा। मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में बुध व शुक्र की युति लक्ष्मीनारायण राजयोग बनाएगी। खरीदारी के लिए तो यह दिन अबूझ मुहूर्त का रहेगा ही लेकिन इतने शुभ योगों की स्थिति इस दिन को मंगलकारी बनाएगी। दीपावली के पहले धनतेरस का दिन सर्वाधिक शुभ होने से बाजार में जमकर खरीदारी होगी। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदना अत्यंत मंगलदायी होगा।

 

त्रिपुष्कर, ऐंद्र, वैधृति योग के साथ मंगलवार और प्रदोष भी

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ज्योतिषाचार्य पं. भंवरलाल शर्मा ने बताया कि २९ अक्टूबर को मंगलवार और प्रदोष रहेगा। इस दिन यह भौम प्रदोष का होना धनतेरस के अबूझ मुहूर्त में सोने पर सुहागा जैसी स्थिति है। इस दिन त्रिपुष्कर, ऐंद्र व वैधृति योग भी रहेंगे जो अनुष्ठान, पूजा-पाठ से लेकर खरीदारी तक के लिए मंगलकारी व विशेष फलदायी होंगे।

बाबा महाकाल के दरबार में २९ अक्टूबर को धनतेरस

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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। इस दिन पुरोहित समिति द्वारा बाबा का अभिषेक एवं पूजन किया जाएगा। साथ ही महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित चिकित्सालय में भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाएगा। 31 अक्टूबर को बाबा महाकाल को अभ्यंग स्नान करवाया जाएगा। सुबह 7.30 बजे होने वाली आरती में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की ओर से अन्नकूट लगाया जाएगा और शाम को उत्साह और उल्लास के बीच दीपावली पर्व मनाया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालु भी उपस्थित रहेंगे।

सम्राट विक्रमादित्य की ‘राजलक्ष्मी’ का 2100 लीटर दूध से होगा अभिषेक

उज्जैन में सबसे प्राचीन मां गजलक्ष्मी का मंदिर है। नईपेठ स्थित इस मंदिर में मां की ५ फीट ऊंची स्फटिक से बनी मूर्ति करीब २ हजार साल पुरानी है। इसमें मां गजलक्ष्मी ऐरावत हाथी पर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं जो अपने आप में दुर्लभ है। मां गजलक्ष्मी सम्राट विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी भी थीं। दीपावली पर 31 अक्टूबर को मां गजलक्ष्मी का आभूषण धारण करवाकर विशेष शृंगार किया जाएगा। सुबह 7 से 11 बजे तक 2100 लीटर दूध से अभिषेक एवं शाम ६ बजे ५६ भोग लगाया जाएगा। तिथियों में मतांतर के चलते २ अक्टूबर को सुहाग पड़वा के दिन सौभाग्य सिंदूर बांटा जाएगा।

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