उज्जैन में दो बड़े फैसले : हत्यारे को आजीवन कारावास रिश्वत लेने वाले चपरासी को मिली चार साल की कैद

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जिले में बुधवार को दो महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले सुनाए गए हैं। एक मामले में तराना के हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास मिला है, वहीं दूसरे मामले में रजिस्ट्री कार्यालय के एक भृत्य को रिश्वत लेने पर 4 साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
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तराना में हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास: तराना के ग्राम बिसनखेड़ी में 8 सितंबर 2022 को राधेश्याम के साथ मामूली विवाद के चलते आरोपी कैलाश पिता बाबूलाल (41) ने जान से मारने की नीयत से पत्थर से सिर पर चोट पहुँचाकर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इलाज के दौरान घायल राधेश्याम की मृत्यु हो गई, जिसके बाद पुलिस ने मामले में धारा 302 (हत्या) का इज़ाफ़ा किया। 12 नवंबर को अपर सत्र न्यायालय प्रेमा साहू ने आरोपी कैलाश को आजीवन कारावास से दंडित किया गया। मामले में पुलिस निरीक्षक भीम सिंह पटेल और सहायक उपनिरीक्षक रमेश सेन ने अनुसंधान किया।
चार साल पहले नकल देने के लिए मांगी थी घूस
पंजीयक कार्यालय के चपरासी को कोर्ट ने दोषी ठहराया
चार साल पहले रजिस्ट्री की सत्यापित प्रति के लिए चार हजार की रिश्वत मांगने वाले पंजीयक कार्यालय के चपरासी को कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है। उस पर 8 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। मामला 8 अप्रैल 2021का है। तराना के रहने वाले शैलेंद्रङ्क्षसह पंवार ने लोकायुक्त उज्जैन में पंजीयक कार्यालय उज्जैन के चपरासी नारायणसिंह की रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। इसके अनुसार पंवार के चाचा कमलसिंह पंवार को बैंक लोन के लिए रजिस्ट्री की सत्यापित प्रतिलिपि की जरूरत थी। चूंकि उनके चाचा ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, ऐसे में उन्होंने रजिस्ट्री निकालने का काम शैलेंद्र को सौंपा था। शैलेंद्र इसके लिए उज्जैन स्थित पंजीयन कार्यालय गए तो यहां पदस्थ चपरासी नारायणसिंह ने 4 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की। आखिर में मामला 3 हजार रुपए में तय हुआ।
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त की टीप ने डीएसपी वेदांत शर्मा के नेतृत्व में कार्रवाई की और शैलेंद्र को तीन हजार रुपए की राशि का लिफाफा देकर नारायणङ्क्षसह के पास भेजा। उसने राशि लेकर आलमारी में छिपा दी। लोकायुक्त की टीम ने यह राशि बरामद की और नारायण सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में चालान स्पेशल कोर्ट में पेश किया। स्पेशल कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाते हुए चार साल की सजा और 8 हजार रुपए का अर्थदंड किया है। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक मनोजकुमार पाठक ने की।









