पहले हुए हादसों से कोई सबक नहीं लिया
अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन। 28 दिन के भीतर दवा बाजार में आग लगने की दूसरी घटना हुई है। दवा बाजार की एक फर्म फिर से आग की चपेट में आ गई है। शॉर्ट सर्किट के कारण लगी आग में लाखों की दवाई नष्ट हो गई है। बहुमंजिला इमारतों में फायर सेफ्टी के नियम का दवा बाजार में पालन नहीं हो रहा है। इसी के चलते शुक्रवार को भी आग बुझाने के काम में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
माधव क्लब रोड पर स्थित दवा बाजार की एक फर्म आग की चपेट में आ गई है। दवा बाजार में सतपाल सिंह और उदय अग्रवाल की पार्टनरशिप में दवाईयों की जी फार्मा एजेंसी है और इसके संचालकों द्वारा पांच दुकानों के समूह में दवाईयों का स्टॉक रखा जाता है।
फर्म संचालक सतपालसिंह के अनुसार शुक्रवार को प्रतिदिन की तरह अन्य तहसील और क्षेत्र में ऑर्डर पर सप्लाई की जाने वाली दवाइयों की खेप को रवाना करने के लिए सुबह 8 बजे दवा बाजार आए थे। माल रवाना कर वे 9 बजे वे घर चले गए। करीब आधे घंटे बाद एक अन्य दुकानदार द्वारा फोन पर उनकी दुकान से धुंआ निकलने की सूचना दी गई। आकर देखा तो भीतर आग लगी हुई थी। तत्काल फायर ब्रिगेड को बुलाया गया।
पीछे के शटर तोड़े, वेंटिलेशन से डाला पानी:
आग को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले जी फार्मा के मेन गेट को खोला गया, लेकिन धुंआ और आग होने के कारण फायर ब्रिगेड के अमले को भीतर पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद फर्म के पीछे के हिस्से मेें माल को लाने ले जाने के लिए बने शटर्स को तोड़ा गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया जा सका। फर्म संचालक सतपालसिंह ने बताया कि नुकसान का अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन आग और पानी से लाखों की दवाईयां नष्ट हुई है।
बता दें कि 27 दिन पहले 1 अप्रैल को फ्रीगंज के दवा बाजार में शॉर्ट सर्किट से भूतल और प्रथम मंजिल पर आग लगी थी। उस वक्त 3 फायर फाइटर से आग बुझाई गई। आग से सेफ्टी के कोई बड़े संसाधन नहीं थे। आग बुझाने के लिए जो पाइप लाइन बनाई गई वह भी टूटी हुई थी। दवा बाजार में सुरक्षा की दृष्टि से ओपन स्पेस नहीं होने से फायर ब्रिगेड के कर्मियों को आग बुझाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
यहीं स्थिति शुक्रवार को भी बनी रही। गौरतलब है कि एक अप्रैल को हुए अग्निकांड के बाद दवा बाजार में सुरक्षा प्रबंध और हादसों से निपटने के संसाधन नहीं होने की खबर को अक्षरविश्व द्वारा प्रमुखता से उठाया गया था। जिम्मेदारों ने इस पर अभी भी ध्यान नहीं दिया है। वहीं दवा बाजार के दुकान संचालक अपनी ही सुरक्षा के प्रति लापरवाह बने हुए हैं
दवा बाजार में समस्याओं की बीमारी का उपचार नहीं
शासन के स्पष्ट आदेश है कि बहुमंजिला इमारतों को फायर एनओसी लेना अनिवार्य है। दवा बाजार में कई मर्तबा अग्निकांड हो चुके है। इसके बाद भी फायर एनओसी नहीं ली है। ऐसे में 300 दुकानदारों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है। नगर निगम, फायर ब्रिगेड को चाहिए कि दवा बाजार सहित शहर की बहुमंजिला इमारतों की जांच करें और फायर एनओसी नहीं लेने पर नियम अनुसार कार्रवाई की जाए।